नीम और यूरिया की जोड़ी किसानों को दे रही ज्यादा मुनाफा, 15% तक बढ़ाती है पैदावार और 10% पैसा किसानों को बचता है

On: Sunday, October 26, 2025 12:58 PM
नीम लेपित यूरिया के इस्तेमाल का फायदा

दरअसल, यहां पर नीम लेपित यूरिया की बात की जा रही है, जिसका फायदा किसानों को बहुत ज्यादा हो रहा है। तो आईए जानते हैं, नीम और यूरिया के इस्तेमाल से क्या फायदा हो रहा है।

यूरिया खाद के नुकसान

अधिकतर किसान यूरिया का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन तरीका गलत होने के कारण उन्हें नुकसान भी हो रहा है। ज्यादा या असंतुलित मात्रा में अगर यूरिया का इस्तेमाल किया जाता है, तो इससे किसानों को बहुत घाटा होता है। पहला नुकसान यह है कि यूरिया की कीमत और खर्च बढ़ता है। दूसरा नुकसान भूमिगत जल प्रदूषण होता है। कीट और रोग का प्रकोप समय के साथ बढ़ता जा रहा है।

इसके अलावा, आधा यूरिया का हिस्सा लीचिंग में बर्बाद हो जाता है यानी कि अगर किसान ज्यादा यूरिया डाल रहे हैं, तो उसका बड़ा हिस्सा फसल तक पहुंच ही नहीं पाता, जिससे वह पैसा पानी में चला जाता है। तो आइए, अब जानते हैं नीम लेपित यूरिया के फायदे।

नीम लेपित यूरिया के इस्तेमाल का फायदा

नीम लेपित यूरिया किसानों की बहुत ज्यादा मदद कर रही है। इसका अर्थ होता है यूरिया के दानों पर नीम का लेप चढ़ा होना जिसमें नीम के तेल की एक पतली परत यूरिया के ऊपर चढ़ाई जाती है। इससे क्या होता है कि जब यूरिया को मिट्टी में छिड़का जाता है, तो वह धीरे-धीरे घुलता है।यानी कि लंबे समय तक उसका असर बना रहता है।

पौधों को जरूरत पड़ने पर ही नाइट्रोजन मिलता है, यूरिया की बर्बादी नहीं होती, और किसानों को फायदा भी अधिक मिलता है। तो आईए जानते हैं कि नीम लेपित यूरिया का इस्तेमाल करने पर कैसे किसानों का खर्चा घट रहा है। खेती का खर्च घटाने और पैदावार बढ़ाने में नीम लेपित यूरिया का हाथ नीम लेपित यूरिया किसानों को खेती की लागत घटाने में मदद कर रही है।

दरअसल, अगर सामान्य यूरिया के बदले नीम लेपित यूरिया का इस्तेमाल किया जाए, तो लगभग 10% खर्च कम बैठता है, क्योंकि इसे कम मात्रा में इस्तेमाल करना पड़ता है। जहां सामान्य यूरिया 50 किलो लेना पड़ता है, वहीं नीम लेपित यूरिया से सिर्फ 45 किलो में ही काम चल जाता है। वहीं उत्पादन पहले से अधिक मिलता है।

कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि नीम लेपित यूरिया डालने से पहले के मुकाबले 10 से 15 प्रतिशत ज्यादा उत्पादन किसानों को मिल सकता है। यह पर्यावरण के अनुकूल भी मानी गई है तथा मिट्टी को उपजाऊ बनाने का भी काम करती है। इस तरह इसमें किसानों को लाभ अधिक है।

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