सर्दियों के मौसम में इन सब्जियों की डिमांड बाजार में ज्यादा मात्रा में होती है क्योकि लोग इनका सेवन करना ज्यादा पसंद करते है इनकी खेती में ज्यादा दिन भी नहीं लगते है। इनकी खेती से किसान भाई अच्छा मुनाफा कमा सकते है।
ठंड की ये सब्जियां किसानों को कर देगी धनवान
सर्दियों का मौसम आ चूका है दिवाली के बाद ठंड बढ़ना शुरू हो जाती है। सर्दियों के मौसम में अक्सर लोगों बाजार में मटर, बथुआ, चौलाई, मेथी, जैसी सब्जियों को ढूंढ़ने लगते है ये सब्जियां साल में कुछ महीने ही मिलती है जिस कारण मार्केट में इनकी डिमांड और कीमत दोनों ही बढ़ कर देखने को मिलती है। इनकी खेती में कम लागत मेहनत ज्यादा मुनाफा होता है और ये सब्जियां कम समय में तैयार हो जाती है जिससे खेत में दूसरी फसल भी बो सकते है और दोगुनी कमाई कर सकते है।
हरी मटर की खेती
हरी मटर रबी मौसम की एक महत्वपूर्ण फलीदार सब्जी है। इसका इस्तेमाल कई व्यंजनों में होता है मटर का सीजन आते ही लोग अपने घर में इसको हर डिश में डालकर सेवन करना पसंद करते है। हरी मटर की खेती के लिए मध्यम ठंडा मौसम सर्वोत्तम होता है। इसलिए इसकी बुवाई अक्टूबर के महीने में करना देना चाहिए। हरी मटर की खेती के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी जिसमें पानी का निकास अच्छा हो वो मिट्टी उपयुक्त होती है। हरी मटर की खेती के लिए काशी उदय, काशी शक्ति, हरभजन, आर्केल, जाग्रति, ए3, AP 3 और अर्ली बैजर जैसी प्रमुख किस्मों का चयन करना चाहिए। ये किस्में 60 से 75 दिनों में प्रथम तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इनकी खेती से प्रति हेक्टेयर 150 से 160 क्विंटल तक फलियों का उत्पादन प्राप्त होता है।

बथुआ की खेती
बथुआ एक हरी पत्तेदार सब्जी है जो सर्दियों में बहुत लोकप्रिय होती है बथुआ की खेती बहुत फायदेमंद मानी जाती है इसकी खेती आसानी से की जा सकती है बथुआ की खेती के लिए ज्यादा लागत नहीं आती है और ये फसल कम दिनों में तैयार हो जाती है। बथुआ की खेती के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी रहती है। इसकी बुवाई से पहले खेत को जोतकर तैयार किया जाता है और मिट्टी में खाद डाली जाती है। इसकी बुवाई के लिए 3–5 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होते है। इसकी बुवाई छिटकवां या कतारों में की जा सकती है। इसकी खेती में गोबर की खाद का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए बुवाई के बाद बथुआ की फसल लगभग 25–30 दिन में पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है इसके बाद हर 12–15 दिन के अंतराल में अगली कटाई करनी चाहिए।

चौलाई की खेती
चौलाई भी एक पत्तेदार फसल है इसकी डिमांड बाजार में बहुत होती है अक्सर लोग लाल चौलाई की भाजी खरीदना ज्यादा पसंद है। इसे लाल चौलाई, हरी चौलाई, और अनाज वाली चौलाई के रूप में उगाया जाता है। इसकी खेती के लिए उचित जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। इसकी बुवाई के लिए 2–3 किग्रा बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होते है। इसकी बुवाई भी बुवाई छिटकवां या कतारों में की जा सकती है। बुवाई के समय इसके बीज की गहराई: 1–1.5 से.मी. से अधिक नहीं रखनी चाहिए। बुवाई के बाद चौलाई की पहली कटाई करीब 25–30 दिन बाद होने लगती है। आप इसकी खेती से बहुत जबरदस्त मुनाफा कमा सकते है एक हेक्टेयर में चौलाई की खेती करने से करीब 100–150 क्विंटल तक पत्तियों का उत्पादन मिलता है।


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