वजनदार दानों वाली गेहूं की ये किस्म लगाएं, प्रति हेक्टेयर 73 क्विंटल उपज पाएं मार्केट में बिकेगी खूब, जाने खास बात

On: Saturday, October 18, 2025 1:55 PM
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गेहूं की बुवाई के लिए आज हम आपको एक ऐसी अद्भुत वैरायटी के बारे में बता रहे है जो खेती के लिए बहुत उत्तम होती है ये वैरायटी मार्केट में डिमांडिंग होती है और जल्दी बिक जाती है तो आइये इस लेख के माध्यम से इस किस्म की विशेषताओं के बारे में जानते है।

वजनदार दानों वाली गेहूं की ये किस्म लगाएं

गेहूं की बुवाई नवंबर के महीने से शुरू हो जाती है गेहूं की बुवाई के लिए किसानों को एक बेहतर उपज देने वाली वैरायटी का चयन करना चाहिए गेहूं की ये वैरायटी न केवल ज्यादा उपज देती है बल्कि इसके दानों की गुणवत्ता भी अधिक होती है जिस कारण गेहूं की ये किस्म मार्केट में जल्दी आसानी से बिक जाती है गेहूं की बेहतर उत्पादकता का विकल्प प्रदान करती है। ये उत्कृष्ट अनाज गुणवत्ता, मोटे और वजनदार दानों वाली किस्म है। गेहूं की इस वैरायटी का नाम एचआई 1650 है ये एक उच्च-उपज वाली, समय पर बुवाई और सिंचित परिस्थितियों के लिए उपयुक्त किस्म है। इसकी खेती जरूर करना चाहिए।

गेहूं की एचआई 1650 किस्म

गेहूं की एचआई 1650 रबी मौसम की सिंचित किस्म है इसकी खेती किसान व्यावसायिक रूप से कर सकते है। इसकी बुवाई नवंबर के पहले पखवाड़े से करना उचित होता है। देर से बुवाई के लिए किसान दिसंबर के पहले सप्ताह तक कर सकते है। गेहूं की एचआई 1650 किस्म की खेती के लिए उचित जल धारण क्षमता वाली दोमट या चिकनी दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। इसकी बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 100–120 किग्रा बीज पर्याप्त होते है बुवाई से पहले बीजों को शोधित करना चाहिए और खेत की अच्छी जुताई करना चाहिए जिससे मिट्टी भुरभुरी हो और मिट्टी में कम्पोस्ट खाद डालना चाहिए जिससे मिट्टी के पोषक तत्व बढ़ते है। बुवाई के बाद गेहूं की एचआई 1650 किस्म की फसल लगभग 115-120 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है।

गेहूं की एचआई 1650 किस्म की उपज क्षमता

गेहूं की एचआई 1650 किस्म की उपज क्षमता बहुत अच्छी देखने को मिलती है इस किस्म का दाना चमकदार और भारी होता है और इसकी रोटी अच्छी बनती है। एक हेक्टेयर में गेहूं की एचआई 1650 किस्म की खेती करने से कम से कम  57.2 क्विंटल से 73.8 क्विंटल तक उत्पादन मिलता है। आप इसकी खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते है। ये किस्म रोग प्रतिरोधी है और इसे उच्च उर्वरता वाली, सिंचित परिस्थितियों के लिए विकसित किया गया है। 

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