MP के विदिशा में महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़कर गोबर से दिया बनाकर लाखों की कमाई कर रही हैं। मशीन से करते हैं काम। आइए जानते हैं कैसे।
गोबर के दिया से कितनी कमाई हो रही है?
MP के विदिशा जिले में महिलाएं आजीविका मिशन से जुड़कर गोबर का दिया बना रही हैं और अच्छी कमाई भी कर रही हैं। हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इन महिलाओं से मिले। उन्होंने देखा कि किस तरीके से मशीन के द्वारा दिया बनाया जा रहा है। गोबर से बना यह दिया महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा है, उन्हें अच्छी-खासी आमदनी दे रहा है।
मंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने भी गोबर से एक दिया बनाकर देखा। मशीन के द्वारा दिया बनाया जा रहा था। उन्हें बताया गया कि गोबर गौशाला से खरीदा जाता है, जिससे पशुपालकों को भी आमदनी होती है। इसके अलावा केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान जी को यह भी बताया गया कि 25 लाख दिए अभी तक महिलाओं के एक समूह ने बेंचे हैं।
उन्होंने बताया कि अगर 75 लाख दिए बिकते हैं तो महिलाओं को 50 लाख रुपए की आमदनी हो जाती है। यानी कि 25 लाख के खर्चे में 75 लाख की बिक्री हो जाती है। लेकिन यह सब कुछ एक साथ नहीं करना पड़ता। एक छोटी-सी मशीन और गोबर की मदद से वे दिए बनाती हैं। आइए आपको इन दीयों की खासियत बताते हैं।
गोबर के दिए की खासियत क्या है?
गोबर से बने दीए की खासियत यह है कि यह वजन में हल्का होता है और इसमें से तेल नहीं रिसता। ना हीं यह तेल अधिक सोखता है। यानी कि बहुत ज़्यादा तेल भी नहीं लगेगा। गाय के शुद्ध गोबर से यह दिया बनाया जाता है, जिससे स्वदेशी परंपरा को बढ़ावा मिल रहा है। इसके इस्तेमाल से किसी तरह का प्रदूषण नहीं फैलेगा। इसे बनाने के लिए गोबर और थोड़ी मिट्टी मिलाई जाती है। इन दीयों का इस्तेमाल दोबारा भी कर सकते हैं। खाद के तौर पर इनका उपयोग किया जा सकता है, क्योंकि इनमें गोबर मिला हुआ रहता है। इससे किसी तरह का कचरा नहीं होगा।

दीपावली और उज्जैन सिंहस्थ महापर्व में रहेगी डिमांड
दीपावली में दीयों की डिमांड बहुत ज़्यादा रहती है, जिसमें गोबर से बने हुए इस स्पेशल दीए की अच्छी-खासी मांग रहेगी। महिलाओं को अच्छी आमदनी होगी। दीपावली के अलावा उज्जैन सिंहस्थ महापर्व में भी करोड़ों दीपकों की डिमांड है, इसलिए वहां पर भी इनको आमदनी होगी। दीपकों के अलावा वे मूर्तियां भी बना रही हैं, जैसे कि लक्ष्मी और गणेश जी की, जो देखने में बहुत ही सुंदर लगते हैं। इनसे भी उन्हें अच्छी आमदनी होगी।
गोबर से दीपक बनाने का कहां मिल रहा है प्रशिक्षण?
एमपी के विदिशा जिले की महिलाएं आजीविका मिशन से जुड़कर गोबर के दीपक बनाना सीख रही हैं। उन्होंने बताया कि वे स्वयं सहायता समूह की सदस्य हैं और आजीविका मिशन के अंतर्गत उन्हें प्रशिक्षण मिलता है। इस तरह महिलाओं को रोजगार मिल रहा है। पशुपालकों को भी गोबर की बिक्री करके अच्छी आमदनी हो रही है। मध्य प्रदेश में गोपालन को भी इससे बढ़ावा मिल रहा है।

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