गेहूं की ये 3 बेस्ट वैरायटी लगाएं प्रति बीघा 15 क्विंटल तक देती हैं उत्पादन, जानिए कैसे बढ़ाएं गेहूं की पैदावार

On: Saturday, October 18, 2025 6:00 AM
गेहूं की बेस्ट वैरायटी

गेहूं की खेती से ज़्यादा उत्पादन लेना चाहते हैं, तो चलिए यहां पर तीन बेस्ट वैरायटी के बारे में बताते हैं और जानते हैं कि किस तरीके से गेहूं का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।

गेहूं की बेस्ट वैरायटी

रबी मौसम में गेहूं की बुवाई अक्टूबर से लेकर दिसंबर तक करते हैं, जिसमें किसानों को बेस्ट वैरायटी की तलाश होती है। तो अगर इस बार दूसरी वैरायटी लगाना चाहते हैं, तो यहां पर तीन वैरायटी बताने जा रहे हैं जिन्हें लगाकर उत्पादन ज़्यादा और मंडी में अच्छा भाव लिया जा सकता है। इन वैरायटियों को तीन से चार पानी की ज़रूरत पड़ती है, जल्दी पक्क कर तैयार हो जाती हैं और मंडी में अच्छा भाव भी मिलता है। एक बीघा में किसान इसे लगाते हैं तो 30 किलो तक बीज लगता है और उत्पादन 12 से लेकर 15 क्विंटल तक हो सकता है।

GW 513– यह गेहूं की अच्छी वैरायटी है। अगर खाने के लिए गेहूं की खेती करना चाहते हैं तो इसका चयन कर सकते हैं। इसकी रोटी अच्छी होती है। यह किस्म रोगों के प्रति अच्छी प्रतिरोधक क्षमता रखती है।

लोकवन– यह भी गेहूं की अच्छी वैरायटी है। यह किसानों की पहली पसंद मानी जाती है। इसकी ऊंचाई मीडियम रहती है, तेज़ हवा में यह गिरती नहीं है जिससे किसानों को नुकसान नहीं होता। जिन किसानों को भूसा ज़्यादा चाहिए होता है, वह इस लोकवन वैरायटी का चयन कर सकते हैं।

HI 1650- यह भी गेहूं की अच्छी वैरायटी है। ठंड को सहन कर लेती है। 120 दिन में पक्क कर तैयार हो जाती है। यह मध्य भारत की सिंचित परिस्थितियों के लिए अच्छी है।

गेहूं की फसल से ज़्यादा उत्पादन कैसे लें?

गेहूं की खेती से अच्छी कमाई के लिए किसानों को ज़्यादा उत्पादन लेना ज़रूरी हो जाता है। साथ ही गुणवत्ता का भी ध्यान रखना पड़ता है, जिसमें किसान अगर बढ़िया से समय पर पानी देते हैं, बेसल डोज़ सही देते हैं, तो अच्छा उत्पादन ले सकते हैं।
और इसके लिए बढ़िया वैरायटी का चयन भी ज़रूरी है। बेसल डोज़ में किसानों को फास्फोरस, पोटाश, सल्फर और जिंक की अच्छी मात्रा डालनी चाहिए, जो कि बुवाई से पहले दी जाती है। नाइट्रोजन जो होता है, उसे दो बार देना होता है, एक बार पहली सिंचाई में और दूसरी बार दूसरी सिंचाई में, यानी कि आधा-आधा।

इसके अलावा, जुताई करते समय किसान 100 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से गोबर की पुरानी खाद डाल सकते हैं, जिससे बहुत ज़्यादा फ़ायदा होता है। वहीं अन्य खाद की मात्रा की बात करें तो 60 किलो नाइट्रोजन, 25 किलो फास्फोरस, 10 किलो जिंक, और 25 किलो पोटाश दे सकते हैं। इसमें नाइट्रोजन की मात्रा दो बार में दी जाती है, एक बार पहली सिंचाई और दूसरी बार दूसरी सिंचाई के समय।

यह भी पढ़े- गेहूं के नकली बीजों से बचे किसान, बीज खरीदते समय इन 5 बातों का रखें ध्यान, नहीं तो पैसा समय सब कुछ जाएगा पानी में