मिश्रित खेती से मध्य प्रदेश के श्याम कुशवाहा ने रच दिया नया इतिहास, प्रति एकड़ कमा रहे लाखों रुपय

On: Wednesday, October 15, 2025 2:12 PM
success story

आज हम बात करेंगे मध्य प्रदेश के किसान श्याम कुशवाहा जी की, जो अपने खेत में मिश्रित खेती कर महीने का प्रति एकड़  लाखो में कमा रहे हैं।

कौन हैं श्याम कुशवाहा

श्याम कुशवाहा मध्य प्रदेश के भोपाल के पास स्थित गोलखेड़ी गांव के रहने वाले हैं। वे प्राइवेट जॉब करते थे जिसमें उन्हें अच्छी आमदनी नहीं हो रही थी। जिसके बाद उन्होंने अपनी नौकरी को छोड़कर खेती में आने का सोचा। उनके पिताजी पारंपरिक खेती करते थे ,पर श्याम कुशवाहा ने पारंपरिक खेती को छोड़ खेती में विविधीकरण अपनाने का सोचा। उन्होंने खेती के साथ दूध उत्पादन करने का सोचा। इन सब चीजों को मिलाकर उनकी आमदनी लाखों में हो रही है। आइए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी ।

मिश्रित खेती अपना कर खेती कर रहे हैं

मिश्रित खेती से आमदनी दोगुनी हो जाती है। इस खेती में किसान खेती के साथ पशुपालन भी करते हैं । इससे ये होता कि आमदनी बढ़ जाती है और खेती टिकाऊ होती है। वे अपनी ज़मीन पर अनाज ,सब्जी, फल उगाते हैं और बाकी बची ज़मीन पर वे खाद बनाते और पशुपालन करते हैं। 

वो अपने खेत में जैविक खाद का उपयोग करते हैं, जिसके लिए उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से ट्रेनिंग ली है। वे खाद में मटका खाद और 10 पत्ती काढ़ा खुद बना रहे हैं। इसका इस्तेमाल वो अपने खेत में करते हैं, जिससे उनके खेत की फसल पूरी तरह जैविक होती है। 

दूध उत्पादन में वे डेली 60 से 70 लीटर तक दूध बेचते हैं। भोपाल के पास के गाँव  में रहने का फ़ायदा उनके दूध उत्पादन और खेती पर दिखता है, क्योंकि मार्केट नजदीक होने के कारण इन चीजों की डिमांड हमेशा रहती है और इन्हें बेचने में आसानी होती है।  

पॉलीहाउस बनाने में सरकार से मिली सब्सिडी

2015 तक उनके खेत में पारंपरिक ढंग से खेती होती थी, पर जब श्याम कुशवाहा ने 2016 से खेती की शुरुआत की तब उन्होंने अपनी खेती कृषि विशेषज्ञों के कहे अनुसार किया। शुरुआत उन्होंने अमरुद की खेती से की। उन्हें पहले साल ही अमरुद की खेती से 45 हज़ार रुपय का मुनाफा हुआ। उसके दूसरे साल ढाई लाख रूपए की आमदनी हुई। जिसके बाद उन्होंने पपीता,आम और दूसरे फलों की भी फसल लगाई, जिससे उनकी आमदनी बढ़ती चली गई। 

खेती से जो आमदनी हुई, उसको लगा कर उन्होंने पॉलीहाउस बनाने का फैसला लिया। पॉलीहाउस को बनाने में उन्हें 33 लाख का खर्चा आया, जिसमें उन्हें  सरकार से अनुदान के रूप में 14 लाख रूपए मिले। शुरुआत में पॉलीहाउस से ज्यादा आमदनी नहीं हुई , फसलें ख़राब हो गई । पर कृषि वैज्ञानिक के कहे अनुसार सही फसल का चुनाव करने के बाद पॉलीहाउससे आमदनी शुरु हो गई। 

उन्हें मिश्रित खेती से सालाना 15 लाख तक आमदनी हो रही है, जो कि एक बहुत बड़ी रकम है। अपनी इस खेती की सफलता से उन्होंने लोगों को इस खेती को अपनाने पर मजबूर कर दिया है। उनके आस -पास के लोग उनसे सीखने आते हैं। अभी तक उन्होंने ढेरों किसानों को ट्रेनिंग दी है।

ये भी पढ़ें उत्तर प्रदेश के सॉफ्टवेयर इंजीनियर अंशुल मिश्रा ड्रैगन फ्रूट की खेती को नई तकनीक से कर कमा रहे सालाना 20 लाख तक,युवाओं के लिए प्रेरणा बने