आज हम बात करेंगे मध्य प्रदेश के किसान राधेश्याम परिहार जी की जिन्होंने पारंपरिक खेती को जैविक खेती से मिलाकर अपनी खेती को नया अंजाम दिया है। उनकी सालाना टर्नओवर 20 लाख से ज्यादा है।
कौन हैं राधेश्याम परिहार
राधेश्याम परिहार मध्य प्रदेश के आगर मालवा के रहने वाले हैं। वे एक किसान परिवार से आते हैं। उनके पिता पारंपरिक खेती करते आए हैं। वे अपने खेत में पारंपरिक फसलों की खेती करते थे। राधेश्याम परिहार ने 12वीं तक की पढ़ाई की है। वे बचपन से ही अपने पिता के खेत में उनका हाथ बटाया करते थे। वे 12वीं के बाद अपने खेत में पूरी तरह से समय देने लगे। उन्हें अपनी खेती में कुछ नया करना था। जिसके लिए उन्होंने जैविक खेती के बारे में जाना। उन्होंने सोच लिया कि जैविक खेती को अपनाकर ही खेती करेंगे, क्योंकि जैविक खेती का प्रभाव मिट्टी के लिए अच्छा होता है और यह एक टिकाऊ खेती भी है जो की इंसान और पर्यावरण दोनों के लिए अच्छी होती है।
जैविक खेती में भोपाल से सर्टिफाइड हुए
उन्होंने जैविक खेती को अपनाकर अपने 3 एकड़ जमीन में पारंपरिक खेती को जैविक खेती से जोड़कर खेती की शुरुआत की। उन्होंने देशी चीजों को अपने खेत में खाद के तौर पर इस्तेमाल किया। शुरुआत में उन्हें अपने फसल बेचने में परेशानी आई क्योंकि वे जैविक खेती से फसल उगा रहे थे, इसका लोगों को विशवास दिलाना मुश्किल हो रहा था। जिसके बाद उन्होंने अपनी जैविक खेती को एक मोड़ देने के लिए भोपाल, मध्य प्रदेश से जैविक प्रमाणन प्रमाण पत्र प्राप्त किया। इसके बाद उनकी खेती में एक बड़ा बदलाव आया। बाजार में उनके फसलों को लोग पहचानने लगे और उनकी फसलों की डिमांड बढ़ गई।
अभी वे अपने खेत में बहुत सारी किस्म की फसलों की खेती कर रहे हैं जैसे हल्दी, मिर्च, लहसुन, धनिया, अश्वगंधा, क्विनोआ, चिया, तुलसी, शतावरी, इसबगोल जैसी औषधीय फसलों की भी खेती कर रहे हैं। उनकी खेत में फसलों की किस्मे बढ़ गई है, जिससे उनकी आमदनी दोगुनी हो गई है। आमदनी बढ़ने के बाद उन्होंने अपनी खेती का क्षेत्र बढ़ाया है,वे पहले 3 एकड़ में खेती करते थे पर अब 22 एकड़ से ज्यादा में खेती कर रहे हैं।
सरकार से मिली सूक्ष्म सिंचाई योजना के अंतर्गत 50% की अनुदान
राधेश्याम परिहार ने बताया कि उन्हें सरकार की तरफ से सूक्ष्म सिंचाई योजना के अंतर्गत 50% की अनुदान मिली। इस योजना के तहत सरकार की ओर से उन्हें ड्रिप और स्प्रिंकलर के माध्यम से खेती करने की तकनीक बताई गई। जिसका उपयोग अब वे अपने खेत पर कर रहे हैं। यह पारंपरिक तरीकों की तुलना में पानी की बचत करती है और ‘प्रति बूँद – ज्यादा फसल’ की गारंटी देती है।
अब उनके खेत पर होने वाली पानी की समस्या खत्म हो गई है और उनके खेत में 80% तक पानी की बचत होने लगी है। इसका उनके फसल उत्पादन पर बहुत बढ़िया असर पड़ा है। फसल का उत्पादन पहले से ज्यादा होने लगा है। अब वे अधिक क्षेत्र में सिंचाई कर कम लागत में अधिक मुनाफा कमा रहे हैं।
खुद का ब्रांड बनाया, 6 हजार किसानों को प्रशिक्षण दे रहे, साथ ही ढेरों सम्मान से सम्मानित हुए
उन्होंने अपना एक ब्रांड बनाया है जिसका नाम उन्होंने ‘मालवा माटी ’ रखा है। यहां वे ऑर्गेनिक हल्दी, मसाले, औषधि उत्पाद और अन्य जैविक फसलें बेचते हैं। उन्होंने इस ब्रांड को बढ़ावा देने के लिए कृषि मेलों और प्रदर्शनियों में भाग लिया, साथ ही अधिक लोगों तक पहुँचने के लिए सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का भी उपयोग किया। जिससे उनकी आमदनी में काफी बढ़ोतरी हुई है। उनकी सालाना टर्नओवर 20 लाख से ज्यादा हो गई है।

जैविक खेती एक टिकाऊ खेती है जो वातावरण के बचाव के लिए बहुत अहम है। यह लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है, इस बात को वे बहुत अच्छे से समझते हैं और वे इस बात से दूसरे किसानों को भी जागरूक करना चाहते हैं, जिसके लिए उन्होंने एक प्रशिक्षण स्कूल खोला है जहाँ वे किसानों को जैविक खेती करने का प्रशिक्षण देते हैं। उन्होंने अभी तक 6 हजार से ज्यादा किसानों को प्रशिक्षण दिया है।
उनकी इस जैविक खेती की ऐतिहासिक सफर में उन्हें ढेरों सम्मानों से भी सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें जैविक खेती में प्रथम पुरस्कार (राज्य स्तर), धरतीमित्र पुरस्कार (2017), महिंद्रा एंड महिंद्रा से कृषि भूषण पुरस्कार, जैव विविधता पुरस्कार (राज्य स्तर पर प्रथम पुरस्कार) और MFOI पुरस्कार 2024 (राष्ट्रीय स्तर) से सम्मानित किया जा चुका है।
उनकी जैविक खेती की यह सफर जारी है। वे अपनी मेहनत और लगन से लोगों को शुद्ध फसलें बेच रहे हैं, जिससे इंसानों का स्वास्थ्य सुधर रहा है, साथ ही पर्यावरण को भी हानि नहीं हो रही और वे दूसरों के लिए एक प्रेरणा बनकर उन्हें आगे बढ़ा रहे हैं।

नमस्कार! मैं पल्लवी मिश्रा, मैं मंडी भाव से जुड़ी ताज़ा खबरें लिखती हूं। मेरी कोशिश रहती है कि किसान भाइयों को सही और काम की जानकारी मिले। ताकि आप अपनी फसल सही दाम पर बेच सकें। हर दिन के मंडी भाव जानने के लिए KhetiTalks.com से जुड़े रहिए।