मध्य प्रदेश की महिला किसान ललिता मुकाती जैविक खेती से सालाना 25 लाख तक कमा रही हैं, महिलाओं के लिए प्रेरणा

On: Thursday, October 9, 2025 2:01 PM
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आज हम बात करेंगे मध्य प्रदेश की महिला किसान ललिता मुकाती जी की, जो जैविक खेती से फसल उगाकर साल का 25 लाख तक कमा रही हैं और दूसरों को ट्रेनिंग भी दे रही हैं।

कौन हैं ललिता मुकाती जी

ललिता मुकाती जी मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले की रहने वाली हैं। उन्होंने बीए तक की पढ़ाई की है। वह एक गृहणी रह चुकी हैं, पर उनके पति किसान हैं जो रासायनिक खेती को अपनाकर खेती करते थे। ललिता जी ने भी बच्चे बड़े होने के बाद अपने पति का खेती में हाथ बताना सुरु कर दिया। कुछ साल खेती करने के बाद जब उन्होंने रासायनिक खेती के बारे में नज़दीक से जाना तो उन्हें लगा कि अगर इस खेती से लोगों के स्वास्थ्य और मिट्टी के स्वास्थ्य दोनों पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है तो क्यों इस खेती को बढ़ावा दें। हालांकि उनके गांव के सभी किसान इसी तरह से खेती कर रहे थे। एक ही किस्म की खेती, कुछ नया नहीं सोचते क्योंकि उन्हें खेती में रिस्क नहीं लेना था कुछ नया अपना कर।
पर ललिता जी ने इस खेती को छोड़कर जैविक खेती करने की सोची, जिसके लिए उन्हें प्रोत्साहन नहीं मिला, पर उन्होंने ठान लिया और जैविक खेती की शुरुआत कर दी।

जैविक ढंग अपना कर करती हैं खेती

ललिता जी केंचुओं से वर्मीकम्पोस्ट बनाती हैं जिससे मिट्टी उपजाऊ होती है और वह नीम, गोमूत्र, गुड़ और छाछ से जैविक कीटनाशक भी बनाती हैं। नीम के बीजों से तेल निकालकर उसका उपयोग कीट नियंत्रण में करती हैं और बचे हुए नीम केक को मिट्टी के स्वास्थ्य को सुधारने में लगा देती हैं। वह हाइड्रोपोनिक खेती और कई आधुनिक कृषि मशीनों का भी उपयोग करती हैं। वह कई आधुनिक कृषि मशीनरी का उपयोग भी अपनी खेती में करती हैं, जैसे पावर टिलर, रोटावेटर, मल्चिंग मशीन, बंड मेकर, कल्टीवेटर, थ्रेशर आदि।

ललिता जी ने अपने 3 एकड़ जमीन में जैविक खेती की शुरुआत की थी, जिसमें उन्होंने खेती की शुरुआत ज्वार, मूंगफली से की थी। कुछ सालों बाद जब उन्हें जैविक खेती का अनुभव बढ़ा तो उन्होंने 40 एकड़ में खेती की शुरुआत की जिसमें वे सीताफल, आम, आंवला, नींबू, चीकू, डॉलर चना और गेहूं जैसी फसलें उगाने लगीं। उन्हें मुख्यमंत्री किसान विदेश अध्ययन योजना के तहत चुना गया, जिसमें उन्हें जर्मनी और इटली के आधुनिक जैविक खेत देखने का मौका मिला। वहाँ पर उन्हें बहुत कुछ सीखने का मौका मिला। वहाँ जो तकनीकें सीखी, उन्होंने अपने खेत में अपनाईं जिससे उनके फसलों का उत्पादन बढ़ा और आमदनी भी दोगुनी हो गई।

सरकार ने कई पुरस्कारों से सम्मानित किया

उन्हें वर्ष 2018 में दिल्ली में आईसीएआर (भारतीय राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कृषि मंत्री “नरेंद्र सिंह तोमर” द्वारा हलदर ऑर्गेनिक अवार्ड से सम्मानित किया गया। इसके साथ ही वर्ष 2019 में नई दिल्ली में पूसा अनुसंधान कृषि मेले में इन्हें इनोवेटिव फार्मर के रूप में अवार्ड भी मिल चुका है। 2019 में ग्वालियर में इन्हें राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय द्वारा सम्मानित किया गया। वो महिला के लिए जैविक खेती के छेत्र में मिसाल बन गई है।

21 महिलाओं का एक समूह भी बनाया है

अपने खेत पर महिलाओं के समूह को ट्रेनिंग के साथ रोजगार दे रही हैं। उनके खेत में जैविक खेती का प्रशिक्षण लेने और जानकारी प्राप्त करने के लिए खंडवा कृषि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं सहित कई अलग-अलग क्षेत्रों से कृषक और एनजीओ से जुड़े लोग प्रशिक्षण लेने के लिए आते हैं। वे 10 साल से भी ज्यादा समय से जैविक खेती कर रही हैं और सालाना 25 लाख तक की आमदनी कमा रही हैं।
ललिता जी ने जैविक खेती को सफलता पूर्वक करके जैविक खेती के क्षेत्र में इतिहास रच दिया है, जो महिलाओं के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा बनकर उभरी हैं।

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