धान की फसल में लगे हरदिया रोग और कीट के प्रकोप का नामोनिशान मिटा देगा ये घोल, इस मात्रा में करें छिड़काव

On: Sunday, October 5, 2025 10:00 AM
धान की फसल में लगे हरदिया रोग और कीट के प्रकोप का नामोनिशान मिटा देगा ये घोल, इस मात्रा में करें छिड़काव

धान की फसल में नाइट्रोजन का अधिक उपयोग करने से फसल में रोग कीट लगने का खतरा बढ़ जाता है और कीट बालियों के रस को चूसते है जिससे धान की फसल प्रभावित होती है जिससे धान की उपज कुछ प्रतिशत घट सकती है अगर समय पर नियंत्रण के उपाय कर लिए जाये तो फसल को नुकसान होने से बचाया जा सकता है।

धान की फसल में हरदिया रोग और कीट के प्रकोप

धान की खेती में किसान कितनी भी देखरेख कर लें लेकिन प्राकृतिक रूप से वातावरण और तापमान का सही होना भी जरुरी होता है उच्च वायुमंडलीय आर्दता 80% से अधिकऔर उच्च तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्सियस इस रोग के लिए अनुकूल होते है इसके अलावा मिट्टी में अधिक नाइट्रोजन का प्रयोग और खेत में जल भराव भी रोग के प्रसार को बढ़ाते है। इन रोग कीट के लक्षण बालियां निकलने के दौरान दिखाई देने लगते है। हरदिया रोग और गंधी बग कीट से बचाव के लिए तुरंत रोकथाम के उपाय करना चाहिए। हरदिया रोग के लक्षण कुछ इस प्रकार बालियों के कुछ दानों पर नारंगी, मखमली और अंडाकार गांठों के रूप में दिखाई देती है। गंधी बग कीट बालियों के अंदर के दानों के रस को चूसकर दानों को सूखा कर खोखला कर देता है।

कैसे करें बचाव

धान की फसल को हरदिया रोग और गंधी बग कीट से बचाव के लिए खेत को साफ रखना चाहिए और खेत को खरपतवार मुक्त बनाना चाहिए। खेत में पानी को ज्यादा देर तक भरे नहीं रखना चाहिए और सीमित मात्रा में ही सिंचाई करना चाहिए। रोग का लक्षण दिखने पर आप कार्बेन्डाजिम 50% डब्लूपी, कॉपर ऑक्सीक्लोराइड, या फिर प्रोपिकोनाजोल 25% ईसी जैसे दवा का स्प्रे कर सकते है और ध्यान रहे नाइट्रोजन का अधिक उपयोग करना चाहिए। आपको बता दें इन दवाओं में से किसी के एक ही छिड़काव करना है।

कैसे करें छिड़काव

धान की फसल में लगे हरदिया रोग और गंधी बग कीट से बचाव के लिए किसान प्रोपिकोनाजोल 25% ईसी की एक मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। इसके अलावा किसी भी कीटनाशक का या फफूंदनाशक का दवा का प्रयोग करने से पहले उत्पाद के लेबल पर दी गई निर्धारित मात्रा को पढ़कर फिर उपयोग करना उचित होता है।  

नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।

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