मध्य प्रदेश के मोनू खान पारंपरिक खेती छोड़ कर सब्जियों की खेती से कमा रहे 10 लाख तक, 300 लोगों को दे रहे रोजगार

On: Friday, October 3, 2025 6:11 PM
farmer success story

आज हम बात करेंगे मध्य प्रदेश के मोनू खान की जो सब्जियों की खेती से 10 लाख तक कमा रहे और अपने गाँव के 300 लोगों को रो जगार दे रहे।

कौन हैं मोनू खान

मोनू खान मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ शहर के रहने वाले हैं। वो पहले पारंपरिक फसलों की खेती करते थे पर कोरोना के समय सब्जियों की डिमांड मार्केट में बहुत थी। जब यह बात उन्हें पता चली तो उन्होंने सब्जियों की खेती करने का मन बना लिया। जिसके बाद वो सब्जियों की खेती से लाखों में कमा रहे साथ ही दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं। आइए जानते है उनकी सफलता की कहानी।

सब्जियों की खेती करने के लिए मिली सरकार से सहायता

सब्जियों की खेती के लिए उन्हें मध्य प्रदेश सरकार के एग्रीकल्चर विभाग से सहायता मिली। जिसके बाद उन्होंने सब्जियों की खेती की शुरुआत की। शुरुआत उन्होंने हरी मिर्च से की। उन्होंने 8 एकड़ जमीन में मिर्च की फसल लगाई। मिर्च की फसल से उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं हुआ पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और दूसरे साल उन्होंने 20 एकड़ में शिमला मिर्च और 10 एकड़ में फिर से मिर्च लगाई। फसल जब तैयार हुई तब उन्होंने मार्केट के बारे में पता किया कि इन सब्जियों की डिमांड कहाँ ज्यादा है। फिर उस हिसाब से उन्होंने अपनी सब्जियों को मध्य प्रदेश के अलावा दूसरे शहरों में भी बेचा जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हुई।

 शिमला मिर्च और हरी मिर्च की फसल से आमदनी अच्छी हुई जिसके बाद उन्होंने सब्जियों की खेती में बढ़ने का सोचा। जिसके बाद उन्होंने दूसरी सब्जियों की भी अपने खेत में लगाया। शिमला मिर्च और हरी मिर्च के अलावा उन्होंने टमाटर की भी खेती की शुरुआत की। अबकी बार उन्होंने 12 एकड़ जमीन में टमाटर लगाया, 25 एकड़ में शिमला मिर्च और 15 एकड़ में हरी मिर्च लगाया। हॉर्टिकल्चर विभाग की मदद से उन्होंने टीकमगढ़ के कुंडेश्वर रोड और झांसी रोड पर स्थित खेतों में यह उत्पादन किया। उन्होंने आधुनिक तरीके से खेती की जिससे उत्पादन भी बढ़ा और आमदनी भी 10 लाख तक पहुँच गई है। अब उनकी सब्जियाँ बाहर के शहर जैसे हैदराबाद, दिल्ली और सिलीगुड़ी जा रही हैं।


300 लोगों को दे रहे हैं रोजगार

 मोनू खान ने जब सब्जियों की खेती की शुरुआत की थी तब पहले साल आमदनी उतनी अच्छी नहीं हुई, पर उन्होंने हर साल नई सब्जियों को अपने खेती में जोड़ते गए और कड़ी मेहनत की। मार्केट का अध्ययन बहुत अच्छे से किया जिससे उन्हें यह पता चला कि उनकी सब्जियों की माँग कहाँ ज्यादा है और कहाँ अच्छे भाव मिलेंगे। इन सब चीजों के अलावा उन्हें हॉर्टिकल्चर विभाग से सहायता भी मिली जिससे उनके रास्ते खुल गए।

आज वो अपने गाँव और आसपास के लोगों को ट्रेनिंग के साथ रोजगार भी दे रहे हैं। उनके 25 एकड़ के सब्जियों की खेत पर लगभग 300 लोगों को रोजगार मिल रहा है। सब्जियों को लगाना, उनकी तुड़ाई से लेकर पैकिंग और ट्रांसपोर्ट तक करने जैसे काम उन्होंने लोगों को दे रखे हैं। अब आलमपुरा, मिनौरा, हीरानगर, दुनातर और चंदौखा गाँवों के लोग इनसे खेत से जुड़े हैं।

मोनू खान खुद के साथ अपने आसपास के लोगों को रोजगार दे रहे हैं जिससे लोगों को दूसरे शहर रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ रहा। उन्होंने अपने गाँव में एक मिसाल बना दी है कि कैसे मौके के हिसाब से और मार्केट की डिमांड के हिसाब से खेती करने से सफलता जरूर मिलती है।

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