केले की खेती करने वाले इस किसान ने बर्बाद होती अपनी फसल को दे दिया एक नए बिज़नेस का रूप, कमा रहे हैं दोगुनी आमदनी

On: Thursday, September 25, 2025 6:24 PM

आज हम बात करेंगे महाराष्ट्र के अशोक प्रभाकर गड़े जी की जिन्होंने अपनी केले की फसल को दे दिया एक नया रूप और कमा रहे हैं दोगुनी कमाई। आइए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी।

कौन हैं अशोक प्रभाकर गड़े

अशोक प्रभाकर गड़े महाराष्ट्र के जलगांव रहने वाले हैं। उनकी आयु 75 साल है और वो केले की खेती करते है। जैसा कि हम जानते हैं कि फल की खेती से आमदनी तो होती है लेकिन फल जल्दी खराब हो जाती है, खास करके केले जैसे फल। अशोक जी की केले की फसल लगभग 40% तक खराब हो जाती थी, जिससे उन्हें बहुत नुकसान का सामना करना पड़ता था। वो सोचने लगे कि इस बर्बादी को कैसे रोका जाए। फिर उनके मन में केले से जुड़े प्रोडक्ट बनाने का विचार आया। उन्होंने यह काम शुरू कर दिया और आज उनकी फसल बर्बाद नहीं हो रही और आमदनी भी बढ़ गई है।

40% फसल अब बर्बाद नहीं होती

 केला विटामिन और मिनरल से भरपूर होता है, फिर भी उसकी कीमत हमेशा गिर जाती है। कारण यह है कि केला परिशेबल है यानी जल्दी खराब हो जाता है और इसकी शेल्फ लाइफ कम होती है। इन सब कारणों से फल उगाने वाले किसानों को हमेशा नुकसान होता है। किसानों को इस मुसीबत से कैसे निकला जाए इस पर उन्होंने काफी अध्ययन किया। फिर उनकी पत्नी ने उन्हें केले से बिस्किट बनाने का विचार दिया। उनकी पहले से संकल्प इंटरप्राइजेज नाम से प्रोसेसिंग यूनिट थी जिसमें वो बिस्किट, चिप्स, पापड़ जैसी चीजें बनाते थे। उसी यूनिट में उन्होंने केले के बिस्किट्स बनाना शुरू किया।

केले के बिस्किट्स ने आमदनी को दी नई रफ़्तार

 उनके प्रोसेसिंग यूनिट संकल्प इंटरप्राइजेज में पहले से बहुत सारे प्रोडक्ट बनते थे जिससे उनकी आमदनी तो होती थी, पर जब से उन्होंने सामान्य प्रोडक्ट्स से हटकर कुछ नया करने का मन बनाया, तब से उनकी प्रोसेसिंग यूनिट ने रफ़्तार पकड़ ली। उनकी आमदनी 5 गुना ज्यादा होने लगी। जो फसल पहले नुकसान हो जाती थी, उसी फसल से अब उन्हें आमदनी होने लगी। मार्केट का अच्छा अध्ययन और नए विचार ने उनको सफलता दिलाई।

अशोक प्रभाकर जी की सफलता से हमें ये प्रेरणा मिलती है कि फल के किसान हों या किसी भी फसल के किसान, मार्केट की मांग, नई तकनीक और नए विचार आपको ज़रूर सफलता देते हैं। बस आप अपने अध्ययन को हमेशा जारी रखें क्योंकि अशोक प्रभाकर जी ने अपनी उम्र को कभी अपने पर हावी नहीं होने दिया और इस उम्र में भी इस असंभव सफलता को हासिल किया और किसानों को नई राह बताई।

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