किसानों को एक तरफ 20 हजार रु दे रही सरकार, तो दूसरी तरफ 30 हजार रु की हो रही वसूली, जानिए क्या है पूरा माजरा

On: Thursday, September 25, 2025 4:00 PM
पंजाब में किसानों को मुआवजा

किसानों की एक ओर सरकार आर्थिक मदद कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ ₹30,000 तक का जुर्माना भी लगाया जा रहा है। तो चलिए जानें पूरी खबर-

किसानों को प्रति एकड़ 20 हजार रु मुआवजा

सरकार की ओर से किसानों को कई तरह से आर्थिक मदद मिल रही है। इस समय पंजाब में किसानों को मुआवजा भी दिया जा रहा है। दरअसल, पंजाब में जिन किसानों की फसलें बाढ़ के कारण खराब हुई थीं, सरकार उन्हें मुआवजा दे रही है ताकि उनकी आर्थिक मदद की जा सके।

इस योजना के तहत किसानों को प्रति एकड़ 20 हजार रु की आर्थिक सहायता दी जा रही है। हालांकि इससे किसानों को पूरी तरह से नुकसान की भरपाई तो नहीं होगी, लेकिन सरकार की यह कोशिश है कि उन्हें कुछ राहत जरूर मिले।

किसानों से 30 हजार रु तक का जुर्माना लिया जा रहा

एक तरफ पंजाब के किसानों को मुआवजा दिया जा रहा है, तो दूसरी तरफ पराली जलाने पर जुर्माना भी वसूला जा रहा है। दरअसल, जिन किसानों ने पराली जलाई है, उनसे ₹30,000 तक का जुर्माना लिया जा रहा है।

यदि किसी किसान ने दो एकड़ तक की पराली जलाई है, तो उस पर ₹5,000 का जुर्माना लगता है। वहीं, 5 एकड़ तक की पराली जलाने पर ₹10,000 और अगर 5 एकड़ से अधिक की पराली जलाई गई है, तो ₹30,000 तक का जुर्माना देना पड़ता है।

इस तरह किसानों को एक तरफ आर्थिक मदद तो दी जा रही है, लेकिन अगर वे नियमों का उल्लंघन करते हैं, तो भारी जुर्माना भी भरना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि साल 2024 में इस जुर्माने की राशि दोगुनी कर दी गई है। पहले यह जुर्माना ₹15,000 था, लेकिन अब इसे बढ़ा दिया गया है। हालाँकि, इस जुर्माने के कारण पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है।

70% तक घटी पराली जलाने की घटनाएँ

जी हाँ, बताया गया है कि आंकड़ों के अनुसार पराली जलाने वाले किसानों की संख्या में लगभग 70% तक की कमी आई है। पराली जलाने से पर्यावरण में प्रदूषण फैलता है, खासकर दिल्ली जैसे शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है। इसके अलावा, इससे खेत की मिट्टी भी खराब होती है। इसी वजह से सरकार जुर्माना लगाती है। क्योंकि पंजाब में बड़े पैमाने पर खेती होती है, इसीलिए पराली जलाने की घटनाएँ बड़ी संख्या में सामने आती हैं।

बताया गया कि साल 2023 में 36,663 किसानों ने पराली जलाई थी, जबकि 2024 में यह संख्या घटकर10,909 हो गई। वहीं, 2018 में 50,590 घटनाएँ दर्ज की गई थीं। इस तरह, पराली जलाने की घटनाओं में अब धीरे-धीरे कमी देखने को मिल रही है, जो कि एक सकारात्मक संकेत है। जिससे किसानों को आगे चलकर नुकसान नहीं होगा।

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