ये खास भाजी सेहत के लिए बहुत लाभकारी होती है ये न केवल अपने स्वाद के लिए जानी जाती है बल्कि सेहत के लिए भी पोषक तत्व का खजाना होती है। इसमें मौजूद तत्व सेहत को तंदुरस्त रखते है तो चलिए ये जानते है की इसे बगीचे में कैसे उगा सकते है।
स्वाद में खटास सेहत में मिठास का कॉम्बो है ये भाजी
अक्सर लोगों सीजन वाली सब्जियां उगाने का बहुत शौक होता है ऐसे में आज हम आपको ठंड के सीजन में खाई जाने वाली सबसे स्वादिष्ठ भाजी के बारे में बता रहे है। जो सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है ये भाजी मार्केट में सीजन की शुरुआत में आती है तो इसके भाव काफी ज्यादा होते है और बाजार में मिलने वाली भाजी में केमिकल दवा कीटनाशक का भी छिड़काव किया जाता है जो सेहत के लिए बहुत हानिकारक साबित होता है इसलिए इसे आप घर के बगीचे में ही आसानी से ऊगा सकते है। इसे घर में उगना बहुत आसान है। हम बात कर रहे है बथुआ की भाजी की बथुआ की भाजी बहुत पौष्टिक होती है।

गमले में उगाएं ये खास भाजी
बथुआ की भाजी बहुत पौष्टिक होती है और इसे गमले या कंटेनर में आसानी से उगाया जा सकता है। बस आपको एकबार इसे उगाना कैसे है ये जानना जरुरी है। इसे उगाने के लिए सबसे पहले कंटेनर या गमले को मिट्टी और खाद से तैयार करना होगा।
गमले और मिट्टी की तैयारी
ड्रेनज – गमले के नीचे छेद होना महत्वपूर्ण है ताकि पानी रुके नहीं।
गमला/पॉट – कम से कम 8–10 इंच गहरा गमला लेना है।
मिट्टी – बथुआ के लिए हल्की दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। मिट्टी, गोबर की खाद या कम्पोस्ट और बालू को 2:1:1 अनुपात में मिलाकर तैयार करना है।
बीज – बथुआ के पौधों को बीज के माध्यम से उगाया जाता है इसके बीज आपको मार्केट में बीज भंडार की दुकान में आसानी से मिल जायेंगे।
बीज बोन का तरीका –
- बीज बोन से पहले बीजों को 6–8 घंटे के लिए पानी में भिगो कर रखना है।
- गमले की मिट्टी पर बीजों को समान रूप से बिखेर देना और हल्की मिट्टी या गोबर की खाद की परत (½ से 1 सेमी) डालकर पानी की हल्की सिंचाई करना है।
बीज बोन के बाद पौधों की अच्छी देखभाल करना जरुरी होता है। गमले की मिट्टी में नमी बनाए रखने जितना ही पानी देना चाहिए जल भराव से बचना है। बथुआ को 4–5 घंटे धूप मिले तो पौधे अच्छे से बढ़ते है। बुवाई के बाद बथुआ के पौधे करीब 40 दिनों में तैयार हो जाते है इसकी कटाई करते समय पौधों को जड़ से नहीं उखाड़ना चाहिए बल्कि ऊपर से पत्तियाँ तोड़ना चाहिए जिससे नई पत्तियाँ आती रहती है।

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