पिता के खेती में नुकसान से बेटे ने रच दिया इतिहास,बना डाला पॉलिमर फ़र्टिलाइज़र जो खेती में 40 % पानी की खपत कम करता है

On: Saturday, September 20, 2025 1:00 PM
नारायण लाल गुर्जर

आज हम बात करेंगे राजस्थान के नारायण लाल गुजर्र की, जिन्होंने पॉलिमर फ़र्टिलाइज़र बना कर किसानों का जीवन आसान कर दिया है। 

कौन हैं नारायण लाल गुर्जर  

नारायण लाल गुर्जर राजस्थान के रहने वाले हैं। उनके पिता किसान हैं, जो पारंपरिक फसलों की खेती करते हैं। एक बार उनके पिताजी की मक्के की फसल पानी की कमी के चलते बर्बाद हो गई, तब उन्होंने नारायण लाल गुजर से कहा था कि बड़े हो कर तुम इस पानी से होने वाली परेशानियों का समाधान निकलना। तब से ये बात लाल गुजर के मन में घर कर गई कि इस मुश्किल का हल वे एक दिन जरूर ढूंढेंगे।

कैसे बनाया ऑर्गेनिक पॉलिमर

पानीकी समस्या किसानों के लिए सबसे बड़ी चुनौती रही है। आजकल बहुत सी आधुनिक तकनीकें भी मिल जाती हैं, लेकिन भारत के बहुत सारे राज्यों के ज़िले सूखा झेलते हैं। नारायण जी किसान परिवार से हैं, उनके मन में था कि इस समस्या का समाधान ढूँढ़ना है। अपने अध्ययन के दौरान उन्होंने पॉलिमर फ़र्टिलाइज़र के बारे में जाना, लेकिन बाज़ार में उपलब्ध पॉलिमर फ़र्टिलाइज़र केमिकल भरें होते हैं। जिसके बाद अपनी पढाई के दौरान ही उन्होंने जैविक पॉलिमर फ़र्टिलाइज़र के बारे में और गहराई से रिसर्च करना शुरू किया। फिर उन्हें पता चला कि संतरे के छिलके में पाए जाने वाले पेक्टिन से नेचुरल पॉलिमर बनाया जा सकता है। फिर उन्होंने अपने विद्यालय महाराणा प्रताप एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में इस पर रिसर्च कर टेस्ट कराया। जिसके बाद उन्होंने आर्गेनिक पॉलिमर फ़र्टिलाइज़र बनाना शुरू किया। उन्होंने फसल अमृत आर्गेनिक फ़र्टिलाइज़र नाम से अपनी कंपनी खोली। ये पॉलिमर भारत के साथ ही जापान में भी सर्टिफाइड है।

किसानों को मिला राहत 40 % तक कम करता पानी का खर्चा

फसल अमृत सस्ता होने के साथ काफी समय तक मिट्टी में चलता है। यह पानी की खर्च  को 30-40% तक कम करता है। इसके साथ ही मिट्टी में लंबे समय तक नमी बनाए रखता है, जिसका यह फ़ायदा होता है कि फसल सूखे में भी सुरक्षित रहती है। इसके इस्तेमाल से मिट्टी की सेहत अच्छी होती है और पैदावार 10–20% तक बढ़ जाती है। यह रासायनिक खादों की ज़रूरत ख़त्म कर देता है, जिसका असर यह होता है कि  किसानों का खर्च कम हो जाता है और किसान 3-6 महीने में ही अपनी लागत निकाल लेते हैं, क्योंकि खाद का खर्च घटता है और पैदावार बढ़ती है। फलों के कचरे से बनने की वजह से यह प्रदूषण और कार्बन गैसों को भी कम करता है। कम लागत और जल्दी फायदा देता है जिससे किसानों की आमदनी भी बढ़ने लग गई है।

नारायण लाल गुजर की यह सफलता बहुत ही प्रेरणादायक है। उन्होंने यह आर्गेनिक फ़र्टिलाइज़र बनाकर किसानों के लिए, खासकर सूखाग्रस्त इलाक़ों के किसानों के लिए बहुत मददगार साबित हुई है। प्रकृति का ख्याल, मिट्टी का ख्यान और साथ ही किसानों का भी ख्याल।  

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