MP के किसानों की फेवरेट सोयाबीन नहीं, यह फसल हो गई, मिल रहा दोगुना उत्पादन, सोयाबीन हुई धोखे वाली फसल, जानिए वजह

On: Wednesday, September 17, 2025 9:00 AM
सोयाबीन का कटोरा

MP के किसान सोयाबीन को पीछे छोड़, दूसरी फसल की सराहना कर रहे हैं। उसमें उनको ज्यादा फायदा नजर आ रहा है। सोयाबीन में उन्हें नुकसान दिखाई दे रहा है-

सोयाबीन नहीं, यह दूसरी फसल किसानों की बनी पसंद

जैसा कि आप जानते हैं, मध्य प्रदेश को सोयाबीन का कटोरा कहा जाता है। लेकिन अब सोयाबीन से किसानों का रुख बदल गया है। वे दूसरी फसल की तरफ आकर्षित हो रहे हैं, जैसे कि मक्का, उड़द, तिल और अन्य जैविक खेती की तरफ झुकाव MPबढ़ा है। इसमें उन्हें जोखिम कम, खर्च कम, मेहनत कम और मुनाफा सोयाबीन के मुकाबले ज्यादा मिल रहा है। तो चलिए, बताते हैं वह कारण जिससे सोयाबीन की खेती छोड़कर किसान दूसरी फसल अपना रहे हैं।

खर्चा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है

सोयाबीन के किसानों का कहना है कि इस खेती में खर्च दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। पहले के मुकाबले रोग अधिक आ रहे हैं, जैसे कि येलो मोजैक रोग, इल्ली आदि की समस्या बढ़ रही है। जिससे दवाई, कीटनाशक आदि का खर्चा बढ़ गया है। इसके अलावा मंडियों में समर्थन मूल्य से कीमत कम मिलती है, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। लागत अधिक, पैदावार कम और कीमत भी कम मिलती है।

मौसम की मार से किसान परेशान

सोयाबीन के किसानों को मौसम की मार भी झेलनी पड़ रही है। अचानक बारिश के कारण फसल बर्बाद हो जाती है। कभी-कभी पानी के बिना सूखा पड़ जाता है। तो ऐसे में किसानों को इसमें नुकसान हो जाता है। वहीं गेहूं की खेती में भी किसानों को आगे चलकर नुकसान होता है, पाला, ओलावृष्टि की समस्या देखने को मिलती है, जिससे पारंपरिक खेती को छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं। किसानों का कहना है कि पिछले 5 सालों से मानसून का पैटर्न ही बदल गया है, जिससे नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।

दूसरी फसल की अंतरराष्ट्रीय मांग ज्यादा

सोयाबीन की कीमत कम मिल रही है, वहीं दूसरी फसल जैसे कि मक्का की डिमांड ज्यादा है। उसकी कीमत भी अधिक मिल रही है। मक्का की अंतरराष्ट्रीय डिमांड को देखते हुए किसान उसकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं। मक्का सिर्फ खाने के लिए नहीं, बल्कि इसकी खेती में चारा, प्रक्रिया उद्योग, फूड उद्योग आदि में भी डिमांड है। वहीं घरेलू स्तर पर उड़द, तिल और मक्का की भी खपत है। इस तरह दूसरी फसलें ज्यादा किसानों को फायदा दे रही हैं।

सरकार भी कर रही इन फसलों को प्रोत्साहित

किसानों का कहना है कि सरकार का जोर दलहन और तिलहन फसलों की तरफ है। उन्होंने दलहन और तिलहन फसलों के MSP को बढ़ा दिया है। केंद्र की योजना में आधार उत्पादन बढ़ाने के लिए अलग क्षेत्र निर्धारित किया गया है, जिससे दाल की खेती में किसानों को उचित कीमत मिल सकती है। किसान क्रेडिट कार्ड पर सभी बीमा योजनाओं का ज्यादा लाभ इन फसलों को मिल रहा है।

मक्के की फसल हुई मुनाफे वाली

MP के किसानों के लिए मक्के की फसल पसंदीदा बन रही है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर इसका असर पड़ रहा है। मक्का और उड़द की फसलें जल्दी तैयार हो जाती हैं, जिससे उनकी कटाई जल्दी शुरू हो जाती है और मजदूरों की भी आवश्यकता पड़ती है। इसमें मक्का में किसानों को अधिक फायदा है। वहीं उड़द की फसल में कुछ किसानों को खर्च अधिक बैठ जाता है। येलो मोजैक रोग से नुकसान हो जाता है, जिसका समाधान भी नहीं मिल रहा है, जिससे मक्का की फसल की तरफ किसानों का रुझान बढ़ रहा है।

यह भी पढ़े- सर्दियों में तगड़ा पैसा कमाने के लिए सितंबर-अक्टूबर में किसान करें इस सब्जी की खेती 2 महीने में आमदनी शुरू