पपीता की खेती के लिए किसानों को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 45,000 रुपए अनुदान के रूप में दिए जा रहे हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कि इसमें लागत कितनी आएगी।
एकीकृत बागवानी विकास मिशन
एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के अंतर्गत सरकार करोड़ों रुपए खर्च करने जा रही है। बता दें कि इस योजना के अंतर्गत कुल ₹1,50,75,000 का खर्चा सरकार द्वारा उठाया जा रहा है।
इस योजना का लाभ वित्तीय वर्ष 2025 से लेकर 2027 तक, यानी दो वर्षों तक किसानों को दिया जाएगा। इच्छुक किसान अभी आवेदन कर सकते हैं। बता दें कि वर्ष 2025-26 के लिए ₹90,45,000 की निकासी और उसकी स्वीकृति सरकार से मिल चुकी है।
इस योजना का उद्देश्य पपीता की खेती में किसानों को आर्थिक मदद प्रदान करना है। पपीता की खेती न केवल लाभकारी है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। यह फल किसानों को मालामाल कर सकता है, इसलिए सरकार इसमें विशेष सहयोग दे रही है। किसानों को केवल थोड़ी सी लागत लगानी होगी, जिससे वे पपीता की खेती की ओर आकर्षित होंगे।

पपीता की खेती के लिए सब्सिडी
बिहार के किसानों को एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के अंतर्गत पपीता की खेती के लिए सब्सिडी दी जा रही है। इसमें केंद्र और राज्य सरकार 40-40% तक की सहायता कर रही हैं, जबकि राज्य योजना मद से 20% टॉप-अप का प्रावधान भी किया गया है। इस तरह किसानों को कुल 100% तक अनुदान प्राप्त हो सकता है।
बताया गया है कि प्रति हेक्टेयर लगभग ₹75,000 का खर्च आता है, जिसमें से किसानों को ₹45,000 रुपए अनुदान के रूप में दिए जाएंगे। इससे किसानों को बहुत कम लागत लगेगी। यह राशि किसानों के खाते में दो किस्तों में भेजी जाएगी पहली किस्त में ₹27,000 और दूसरी किस्त में ₹18,000 दिए जाएंगे। एक हेक्टेयर भूमि में शानदार तरीके से पपीता की खेती करके किसान अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और अच्छी कमाई कर सकते हैं।
पपीता की खेती के लिए अनुदान कैसे मिलेगा?
पपीता की खेती के लिए अनुदान प्राप्त करने हेतु बिहार के 22 जिलों के किसान आवेदन कर सकते हैं। ये जिले हैं भोजपुर, कटिहार, पूर्णिया, समस्तीपुर, मधुबनी, सहरसा, पूर्वी चंपारण, पटना, पश्चिमी चंपारण, नालंदा, मुजफ्फरपुर, खगड़िया, गया, दरभंगा, भागलपुर, बक्सर, गोपालगंज, जहानाबाद, लखीसराय, मधेपुरा, बेगूसराय। इन जिलों के किसान https://horticulture.bihar.gov.in/ इस आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन जमा कर सकते हैं।

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