भारत में फूलों की खेती का चलन तेजी से बढ़ रहा है। इसमें रजनीगंधा की खेती विशेष महत्व रखती है क्योंकि इसकी खुशबू और सुंदरता के कारण बाजार में इसकी मांग पूरे साल बनी रहती है। रजनीगंधा का उपयोग सजावट, गजरे, मालाएं और इत्र बनाने में किया जाता है। इसकी खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं। यहां हम रजनीगंधा की खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी सरल भाषा में दे रहे हैं।
जलवायु और मिट्टी
रजनीगंधा की खेती के लिए गर्म और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु उपयुक्त रहती है। 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान इसकी अच्छी पैदावार के लिए सही माना जाता है। बलुई दोमट मिट्टी जिसमें पानी का निकास अच्छा हो, खेती के लिए सबसे उपयुक्त है।
जमीन की तैयारी
खेती से पहले खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए। इसके बाद 15 से 20 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर डालकर मिट्टी में अच्छी तरह मिलाना जरूरी है। क्यारियां बनाकर उनमें उचित नमी बनाए रखना चाहिए।
रोपाई और किस्में
रजनीगंधा की रोपाई बल्ब से की जाती है। अच्छे और रोगमुक्त बल्ब का चयन जरूरी है। रोपाई का सही समय फरवरी से मार्च या जुलाई से अगस्त तक है। पौधों की दूरी पंक्ति से पंक्ति 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधा 20 सेंटीमीटर रखी जाती है। प्रमुख किस्में सिंगल पंखुड़ी और डबल पंखुड़ी वाली होती हैं।
सिंचाई और खाद
पहली सिंचाई रोपाई के तुरंत बाद करनी चाहिए। गर्मियों में 7 से 8 दिन के अंतर पर और सर्दियों में 15 दिन के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए। खाद के लिए गोबर की खाद के साथ-साथ यूरिया, डीएपी और पोटाश संतुलित मात्रा में डालना चाहिए।
रोग और कीट प्रबंधन
रजनीगंधा की फसल में बल्ब सड़न, पत्ती धब्बा और थ्रिप्स जैसे कीट लग सकते हैं। इसके लिए समय-समय पर जैविक दवा या उचित कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए। खेत में पानी का जमाव न होने देना बहुत जरूरी है।
फूल तोड़ना और उपयोग
रोपाई के 3 से 4 महीने बाद पौधों में फूल आना शुरू हो जाते हैं। फूलों की तोड़ाई सुबह या शाम को करनी चाहिए ताकि उनकी ताजगी बनी रहे। रजनीगंधा के फूलों का उपयोग शादी समारोह, धार्मिक आयोजन और इत्र बनाने के लिए किया जाता है।
कमाई
एक हेक्टेयर में लगभग 1.5 से 2 लाख पौधे लगाए जा सकते हैं। सामान्य परिस्थितियों में एक हेक्टेयर से 20 से 25 क्विंटल फूल प्राप्त होते हैं। बाजार में रजनीगंधा के फूल 200 से 400 रुपये प्रति किलो तक बिक जाते हैं। इस तरह किसान एक हेक्टेयर से 4 से 5 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं। यदि किसान सीधे मंडी या फूल बाजार में बिक्री करें तो उन्हें और अधिक लाभ मिल सकता है।
निष्कर्ष
रजनीगंधा की खेती किसानों के लिए लाभकारी व्यवसाय साबित हो सकती है। कम खर्च में यह खेती लंबे समय तक फूल देती है और इसकी मांग पूरे साल बनी रहती है। उचित देखभाल, सही किस्म का चयन और बाजार से जुड़ाव किसानों की आय को दोगुना करने में मदद कर सकता है।
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