अशोक तपस्वी की अनोखी सोच : आर्गेनिक सिन्दूर से पहचान और 45 लाख की कमाई

On: Thursday, September 4, 2025 2:49 PM
आर्गेनिक सिन्दूर

अशोक तपस्वी आर्गेनिक खेती से लोगों को केमिकल मुक्त सिंदूर उपलब्ध करा रहे हैं, साथ ही आमदनी भी बहुत अच्छी हो रही है। आइए इनकी पूरी कहानी जानते हैं। 

कौन हैं अशोक तपस्वी जी 

अशोक तपस्वी उत्तर प्रदेश के फतेहपुर के रहने वाले हैं। पर नौकरी के चलते वे महाराष्ट्र के पुणे शहर में रहते थे। उन्होंने अपने नौकरी छोड़कर सिन्दूर की खेती करने की सोची क्योंकि उन्होंने गौर किया कि मार्किट में लेड और मर्करी मिली हुई केमिकल युक्त सिन्दूर मिल रही ,जो की इंसान की स्किन के लिए अच्छी नहीं है। इसलिए उन्होंने आर्गेनिक सिन्दूर की खेती करने की सोची। 

खेती की शुरुआत कैसे की 

एक बार जब वे महाराष्ट्र से आ रहे थे , तो उन्हें मध्य प्रदेश के पास जंगल में सिन्दूर का पौधा दिखा था। इससे पहले उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। लेकिन जब पौधों में फूल खिले, तब रिसर्च करने पर उन्हें पता चला कि आयुर्वेद में इसे अनाट्टो नाम से पुकारा जाता है। इसके लाल बीजों से प्राकृतिक और केमिकल-फ्री सिन्दूर बनता है। इस पौधे में जो फल आते, उसके रंग निकालकर सिन्दूर बनाया जाता है। साथ ही, सिंगार की बहुत-सी चीजें को बनाने में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

उन्होंने अपने गाँव आकर खेती की शुरुआत की, जिसके लिए उन्होंने अपनी जमीन को जैविक तरीके से तैयार किया। शुरुआत बस कुछ ही पौधों से की। जब पौधों की ग्रोथ ठीक से हो गई, तब उन्होंने ज्यादा पौधे लगाए। उस इलाके में पहले किसी ने सिन्दूर की खेती नहीं की थी। पर उन्होंने सोचा, किसी ने नहीं किया तो क्या हुआ, वे करेंगे सिन्दूर की खेती। 

45 लाख तक की आमदनी हो रही है

सालों मेहनत करने के बाद आज उनके खेत में 400 से ज्यादा अनाट्टो के पौधे हैं। और वे उतर प्रदेश के पहले किसान हैं जिन्होंने सिन्दूर के पौधे की खेती की शुरुआत की और सफल भी रहे। उनके खेत पर बाहर से आकर लोग सिन्दूर के पौधे लेकर जाते हैं। वे प्राकृतिक खेती को ध्यान  में रखकर खेती करते हैं, इसलिए उनकी ऑर्गनिक सिन्दूर की डिमांड मार्केट में ज्यादा रहती है। उनकी 10 ग्राम की सिन्दूर का भाव  500 रुपय तक रहती है। अभी वे 45 लाख से भी ज्यादा कमा रहे हैं। वे किसानों को रोजगार भी देते है।

वे अपनी इस खेती से केवल पैसा कमाने की सोच नहीं रखते है, वे लोगों के स्वास्थय और पर्यावरण के बारे में भी सोचते हैं। इसी सोच के साथ वे और आगे बढ़ते जा रहे हैं।

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