राजस्थान के मुकेश मांजू अपनी कमांडो की नौकरी छोड़ कर बने किसान। जैतून की खेती से सालाना 14 लाख तक कमा रहे हैं। चलिए जानते हैं इनकी प्रेरणा भरी कहानी।
सेना से खेती तक का सफर
मुकेश मांजू जी पहले भारतीय सेना में थे, फिर वो एनएसजी में कमांडो बने। उन्हें बचपन से ही खेती का शौक था, जब वे एनएसजी में थे तब उन्हें गल्फ देशों में जाने का मौका मिलता था, वे वहां के किसानों से मिलकर नई तकनीक सीखते रहते थे। उन्हें हमेशा से मन में था कि उनको भी खेती करनी है। उनके पिताजी पारंपरिक खेती करते थे पर वे पारंपरिक खेती से हटकर कुछ नया करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने जैतून की खेती करने की सोची।
जैतून की खेती की शुरुआत कैसे की
उनके पिताजी ने पेपर में पढ़ा था कि राजस्थान सरकार राज्य के किसानों को सस्ती दाम पर जैतून के पौधे उपलब्ध कराने के लिए इजरायल सरकार का सहयोग लेती है। मुकेश को इसके बारे में जानकारी नहीं थी, इसलिए उन्होंने इसके फायदे के बारे में जानने के लिए बीकानेर में राजस्थान जैतून खेती लिमिटेड (आरओसीएल) फार्म गए और वहां से जैतून की खेती की सारी जानकारी ली।
इसके बाद मुकेश ने फार्म शुरू किया। उन्होंने अपने 20 एकड़ के फार्म में से 2 एकड़ में जैतून के 450 पेड़ लगाए। जिसमें उन्हें सरकारी से सब्सिडी भी मिली, जिससे उन्हें ये फ़ायदा हुआ कि 250 के पौधे उन्हें 150 में मिले। जैतून की खेती उन्होंने 2014 में शुरू की, जिसके 4 साल के बाद उन्होंने वीआरएस ले लिया क्योंकि वो अपना पूरा टाइम खेती पे देना चाहते थे। शुरुआत में लोगों ने हौसला तोड़ने की बहुत कोशिश की पर उन्होंने हार नहीं मानी।
जैतून खेती से सालाना 14 लाख का टर्नओवर
मुकेश जी ने बताया कि जैतून का पौधा पैसा छापने की मशीन जैसी है, जैसे पत्तियों को चाय कंपनियां खरीदती हैं, छाल का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है और फिर इसका तेल 1500 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बिकता है जो कि काफी अच्छा भाव है। वे अपने जैतून दूसरे शहरों के होटलों में भी बेचते हैं। उन्होंने जैतून की खेती के साथ अब दूसरी फसलों की भी खेती शुरू की है और साथ ही वो पशुपालन और एग्रो टूरिज़्म भी कर रहे हैं। उन्होंने अपने फार्म का नाम मंजू फार्म रखा है, जहां विदेश से मेहमान आकर रुकते हैं और उनकी खेती की तारीफ करते हैं। उनका सालाना टर्नओवर 14 लाख रुपये तक पहुंच गया है।
उनकी ये सफलता दूसरे किसानों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा बन गई है कि कैसे उन्होंने राजस्थान की ज़मीन पर जैतून जैसे फल उगा कर साबित कर दिया है कि कोई भी काम नामुमकिन नहीं होता अगर सच्चे मन से किया जाए तो।
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