पॉलीहाउस में खेती से सालाना 35 लाख रुपये की कर रहे कमाई, मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर बने किसान 

On: Tuesday, August 26, 2025 3:29 PM

नौकरी आपको पैसा तो दे सकती है, लेकिन सुकून तो आपको मिट्टी से जुड़ा काम ही दे सकता है। आज हम बात करेंगे मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले राहुल गुप्ता जी की जो असम के रहने वाले है, उन्होंने एमबीए करने के बाद मल्टीनेशनल कंपनी में काम किया जहां उन्हें अच्छी सैलरी मिल रही थी, पर सुकून नहीं मिल रहा था।

इसलिए उनके मन में खेती से जुड़ने का ख्याल आया जिसमें मिट्टी से जुड़े रहने का मौका भी मिलेगा साथ ही आमदनी भी होती रहेगी। आज वे खेती से सालाना 35 लाख रुपये कमा रहे हैं। तो चलिए उनकी सफलता की पूरी कहानी जानते हैं। 

अच्छे वेतन वाली नौकरी छोड़ खेती को चुना

उन्होंने एमबीए की डिग्री लेने के बाद, खेती शुरू करने से पहले कोलकाता में काम किया। लेकिन अच्छी जगह नौकरी और अच्छा वेतन होने के बावजूद भी, उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अपना पूरा समय खेती में लगा दिया। अभी वे असम के तिनसुकिया में 1.5 एकड़ ज़मीन में पॉलीहाउस में खेती कर रहे हैं, जिसमें ड्रिप सिंचाई और फर्टिगेशन की मदद से ”कीटनाशक मुक्त ” टमाटर, शिमला मिर्च और हाइड्रोपोनिक विधि से सब्ज़ियां उगाते हैं। 

पॉलीहाउस तकनीक से खेती कर रहे

राहुल गुप्ता ने साल 2019 में 1,000 वर्ग मीटर के पॉलीहाउस से खेती शुरू की थी। शुरुआत में उन्हें कई दिक्कतों और चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने खेती के सफर को जारी रखा, जिसमें उनकी पत्नी नेहा, जो खुद एमबीए हैं, उनका हमेशा सहयोग करती हैं। 

वे खेती को बेहतर बनाने के लिए ड्रिप सिंचाई और फर्टिगेशन का इस्तेमाल करते हैं। इन तरीकों से फसल की बढ़त अच्छी होती है। उन्होंने बताया, पॉलीहाउस खेती के लिए सरकार से सब्सिडी और सहायता भी मिलती है, जिसका उन्होंने लाभ भी उठाया। 

सालाना 35 लाख की आमदनी हो रही

इस समय राहुल 1.5 एकड़ में पॉलीहाउस और ग्रीनहाउस फार्म चलाते हैं। यहाँ वह टमाटर, शिमला मिर्च, रंगीन शिमला मिर्च और हाइड्रोपोनिक पत्तेदार साग की खेती करते हैं, जिससे उन्हें सालाना 35 लाख की आमदनी होती है। राहुल का दावा है कि उनके उगाए हुए कीटनाशक-मुक्त टमाटर बिना रेफ्रिजरेशन के भी 25 दिन तक ताज़ा रहते हैं। खेती में नई सोच और मेहनत के लिए राहुल को असम गौरव पुरस्कार से सम्मानित भी  किया गया है। कई किसान और छात्र उनसे मिलने आते हैं, और वे उनसे आधुनिक खेती की तकनीक सीखकर जाते हैं। 

राहुल और नेहा की यह सफलता यह साबित करती है कि खेती अब केवल परंपरा या गुज़ारे का ज़रिया नहीं रही, बल्कि सही ज्ञान और तकनीक के साथ यह एक सफल राह बन सकती है। उन्होंने दिखा दिया कि छोटी ज़मीन पर आधुनिक तकनीक अपना कर किसान बहुत अच्छी आमदनी कर सकते हैं। 

ये भी पढ़ें – आम की खेती ने बदली किस्मत: गुजरात के जगदीश चौहान आम की खेती से कमा रहे 4 लाख से भी ज़्यादा, लोगों को दे रहे रोज़गार

Leave a Comment