धान के किसानों के लिए यह जरूरी खबर है। अगर उत्पादन में एक प्रतिशत भी गिरावट नहीं देखना चाहते, तो जान लीजिए यह कौन-सा रोग है और इसका उपाय क्या है।
धान की फसल में ब्लास्ट रोग
इस समय कई किसानों की फसल में ब्लास्ट रोग (झुलसा रोग) देखने को मिल रहा है। यह रोग धान की फसल में तीन अवस्थाओं में फैलता है – पौधे में बालियां लगने के समय, गठानों में और पत्तियों में। यानी यह समस्या कभी भी किसानों को परेशान कर सकती है। यह रोग तब फैलता है जब मौसम अस्थिर रहता है। कभी ज्यादा बारिश होती है, कभी तेज धूप निकलती है। रात में उमस रहती है और दिन में तापमान अधिक होता है। रात और दिन के तापमान में ज्यादा अंतर होने से यह रोग तेजी से फैलता है। जिससे किसानों को नुकसान हो सकता है।

धान की पैदावार में 75% तक गिरावट
- अगर धान की फसल में झुलसा रोग लग जाए, तो उत्पादन में 25% से 75% तक की गिरावट हो सकती है।
- पत्तियां और बालियां काली पड़ जाती हैं।
- पत्तियों पर आंख जैसे आकार के काले धब्बे बनने लगते हैं।
- पौधा कमजोर होकर गिर सकता है।
- दाने ठीक से नहीं भरते और बालियां लटकने लगती हैं।
- शुरुआत में पत्तियों पर कत्थई रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। अगर किसान भाइयों को ऐसा कुछ दिखे, तो तुरंत उपाय करना जरूरी है।
धान की फसल को झुलसा रोग से कैसे बचाएं
अगर फसल में झुलसा रोग की शुरुआत हो गई है या रोग तेजी से फैल चुका है, तो भी समाधान है।
रासायनिक उपाय– ब्लास्टीसाइड का छिड़काव करें। ट्राइसाइक्लाजोल या कीटाजिन का उपयोग करें। ये दवाएं ब्लास्ट रोग को नियंत्रित करने में प्रभावी हैं।
जैविक उपाय– सुडोमोनास फ्लुरोसेंस दवा का 1 लीटर या 1 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें। यदि खर्च नहीं करना चाहते, तो गाय के ताजा गोबर को पानी में घोलकर छान लें और उसका छिड़काव करें। यह भी असरदार उपाय है।
किसानों के पास हर तरह का समाधान उपलब्ध है। बस जरूरत है समय पर कदम उठाने की, ताकि फसल और मेहनत दोनों सुरक्षित रह सकें।

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