आकाश चौरसिया मल्टीलेयर फार्मिंग के उस्ताद : डॉक्टर बनने का सपना छोड़कर बने किसान, जैव विविधता पुरस्कार से सम्मानित, देश विदेश तक है पहचान

On: Saturday, August 23, 2025 5:37 PM
आकाश चौरसिया

उनके पास खुद की ज़मीन नहीं थी, इसलिए वे जानते थे जगह होना कितना ज़रूरी है। इसके अलावा, ज्यादातर किसानों के पास आज केवल एक से दो एकर  खेत हैं। कुछ समय बाद, जैसे-जैसे ज़मीन बटेगी, हर एक किसान के पास और भी कम ज़मीन होगी। इसलिए इन्होंने कम ज़मीन पर ज्यादा फसल उगाने के तरीक़े के बारे में सोचना शुरु किया। हम बात कर रहे हैं आकाश चौरसिया जी की, जिनके पास शुरुआत में खेती के लिए ज़मीन नहीं थी और आज उनके पास 16 एकड़ ज़मीन है और सालाना 30 लाख से भी ज्यादा कमा रहे हैं। चलिए जानते हैं उनकी सफलता की पूरी कहानी।

आकाश चौरसिया है कौन

मध्य प्रदेश के सागर जिले के रहने वाले आकाश चौरसिया जी शुरू में डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन उनकी रूचि खेती करने में थी। उन्होंने हाई स्कूल पूरा करने के बाद खेती की ओर अपना कदम बढ़ाया और आज वे कई राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं जैसे जैव विविधता पुरस्कार के प्रथम पुरस्कार से सम्मानित, पतंजलि कृषि गौरव पुरस्कार, ऐसे कई पुरष्कार उनकी लिस्ट में शामिल हैं। आकाश चौरसिया पिछले 16 साल से खेती कर रहे हैं। और वे सालाना 30 लाख रुपये से ज्यादा कमाते हैं। चलिए जानते हैं वे किस तरह की खेती करते हैं।

किस किस्म की खेती करते हैं आकाश चौरसिया

आकाश चौरसिया जी मल्टीलेयर कृषि, पानी और मिट्टी संरक्षण, जैविक खाद निर्माण, देशी बीजों का संरक्षण, जैव विविधता व प्लांट म्यूजिक थेरपी जैसे विषयों को अपनाकर के खेती कर रहे हैं। 

आकाश चौरसिया ने अपनी जमीन पर मल्टी लेयर फार्मिंग की तकनीक का इस्तेमाल किया। एक क्षेत्र में वे एक साथ कई परतों में फसलें उगा रहे हैं, उदाहरण के लिए अदरक (जमीन के नीचे), आंवला (जमीन से 1-2 फीट ऊपर), लौकी (जमीन से 6-8 फीट ऊपर), पपीता (जमीन से 9-10 फीट ऊपर )। यह विधि लागत को कम करती है, जिससे बढ़िया मात्रा में कृषि उत्पादन होता है। ये कृषि में किसी भी रासायनिक उत्पाद का उपयोग नहीं करते हैं। सभी खाद और कीटनाशक प्राकृतिक चीजों का उपयोग करके बनाते हैं। गाय के गोबर का उपयोग करके खाद के स्थान पर वर्मीकम्पोस्ट तैयार करते हैं।

आईडिया कहां से आया 

आकाश जी को बहुमंजिला इमारतों से प्रेरणा मिली। उन्होंने बताया कि बहुमंजिला इमारतों में कम जगह में अधिक लोगों के रहने की व्यवस्था होती है, उन्हें यह आईडिया पसंद आया। यही तरीका उन्होंने खेती में अपनाया। इसके बाद, 6.5 फीट की ऊंचाई पर उन्होंने बांस से एक संरचना का निर्माण किया और उसके ऊपर एक जाली लगाई, जिससे वह संरचना आधी धूप में रहे और आधी छांव में। दो फसलें उगाने के बाद, उन्होंने तीसरी लेयर के लिए लताओं वाले पौधे चुने। इसके  बाद चौथी लेयर पर आम, पपीता या सपोटा (चीकू) जैसे मौसमी फलों के पेड़ लगाए।

रसायन-मुक्त भोजन सपना है उनका

इनकी सफलता की कहानी, विशेष रूप से बहु-स्तरीय खेती में, कई अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है। उन्होंने लगभग 80,000 किसानों को प्रशिक्षित किया है और 12,000 अन्य लोगों को इस बारे में शिक्षित किया है। जैसे-जैसे जागरूकता बढ़ेगी, ज्यादा से ज्यादा लोग इस मॉडल को अपनाएंगे और आकाश कहते हैं, अच्छा खाना सबका अधिकार है। जितने ज्यादा किसान ऐसा करेगें, उतनी ज्यादा प्लेटों तक केमिकल मुक्त खाना पहुंचेगा।

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