इस सब्जी की खेती कम समय और कम खर्चे में ज्यादा कमाई कराने वाली होती है इसकी मांग बाजार में ज्यादा होने के कारण इसकी बिक्री जल्दी-जल्दी हो जाती है।
अगस्त-सितंबर में करें ये मामूली सब्जी की खेती
टिंडे की खेती एक लाभदायक व्यवसाय की तरह साबित होती है इसकी खेती के लिए किसानों को उच्च उपज देने वाली इस किस्म का चुनाव करना चाहिए जिससे बहुत फायदा होता है क्योकि इसकी खासियत ये है की ये किस्म अच्छी रख-रखाव और परिवहन गुणवत्ता, अधिक उत्पादन देने वाली और रोग सहन करने वाली होती है। इस किस्म के टिंडे का वजन करीब 65-70 ग्राम होता है। हम बात कर रहे है टिंडे की गोल्डन किस्म की खेती की ये एक उत्तम विशेष प्रकार की टिंडा किस्म है। जो गहरे हरे रंग के फल और चपटे गोल आकार के फलों के लिए जानी जाती है।

गोल्डन टिंडा की खेती
गोल्डन टिंडा की खेती के लिए उचित जल धारण क्षमता वाली बलुई दोमट मिट्टी सबसे उत्तम मानी जाती है। मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में जैविक पदार्थ होना चाहिए। इसकी खेती के लिए खेत को गहरा जोतकर मिट्टी में गोबर की खाद डालना चाहिए जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है टिंडे की फसल को नियमित रूप से सिंचाई की आवश्यकता होती है खासकर फूल और फल लगने के समय।
इसकी खेती में खरपतवारों को समय-समय पर हटाना आवश्यक होता है जिससे वे टिंडे की फसल के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाते है। बुआई के बाद गोल्डन टिंडा की फसल लगभग 60 से 65 दिनों तैयार हो जाती है।
उत्पादन क्षमता
गोल्डन टिंडा की खेती से बहुत ज्यादा उत्पादन देखने को प्राप्त होता है एक एकड़ में गोल्डन टिंडा की खेती करने से लगभग 45-50 क्विंटल का उत्पादन होता है। ये बाजार में करीब 20 रूपए प्रति किलो तक बिकता है। एक एकड़ में आप इसकी खेती से 1 लाख रूपए तक की कमाई हो सकती है। गोल्डन टिंडा की खेती जरूर करना चाहिए क्योकि इसकी खेती से बहुत मुनाफा होता है।

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