बिहार के किसान बांस की खेती करना चाहते हैं, तो चलिए आपको बताते हैं इस पर मिलने वाली सब्सिडी और इसके फायदे के बारे में।
बांस की खेती का फायदा
बांस की खेती में किसानों को कई फायदे हैं। यह किसानों को आत्मनिर्भर बनाती है। अगर किसान के खेत की जमीन ज्यादा अच्छी नहीं है या खर्चा कम करना चाहते हैं, तो कम देखरेख वाली बांस की खेती कर सकते हैं। इसकी बाजार में डिमांड है।
इसके अलावा, बांस की खेती जहां पर की जाती है वहां मिट्टी का कटाव नहीं होता है। मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है। जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी यह खेती सहायक होती है। बांस की जड़ें मिट्टी को बांधने का काम करती हैं। अगर किसानों के पास पानी की समस्या है, तो वे बांस की खेती कर सकते हैं। सरकार भी इसमें मदद कर रही है।
बांस की मांग
बांस की डिमांड कई क्षेत्रों में है। इसका इस्तेमाल कई चीजों में किया जाता है। यह कच्चे माल के तौर पर विभिन्न कंपनियों में डिमांड में है। बांस से फर्नीचर, हस्तशिल्प जैसे कई उत्पाद बनाए जाते हैं। यह कला और संस्कृति को बढ़ावा देता है।
प्लास्टिक का एक अच्छा विकल्प है। चिकित्सा में भी बांस का इस्तेमाल किया जाता है। बांस की खेती से ग्रामीण समुदायों में रोजगार के अवसर पैदा होते हैं।
इसकी कीमत की बात करें, तो कई जगहों पर ₹2000 से लेकर ₹10000 टन के हिसाब से बिकता है। इसकी गुणवत्ता पर भी कीमत निर्भर करती है कि वह किस तरह का है। बांस से कागज, सजावट का सामान, फर्श इत्यादि चीजें बनाई जाती हैं।
बांस की खेती में सब्सिडी
बांस की खेती में बिहार राज्य सरकार किसानों को सब्सिडी दे रही है। बताया जा रहा है कि 17 साल बाद बिहार के सहरसा जिले में बांस की खेती शुरू की जा रही है। इसमें सरकार का लक्ष्य है कि 19 हेक्टेयर में बांस की खेती की जाएगी, जिससे किसानों की आमदनी में वृद्धि होगी।
इसमें सरकार आधा खर्चा उठा रही है। दरअसल, बांस की खेती के लिए 50% अनुदान दिया जा रहा है। इससे किसानों को खेती के लिए खेत तैयारी, सिंचाई उपकरण, खाद इत्यादि खरीदने में आसानी होगी। साथ ही उच्च गुणवत्ता वाला बांस उत्पादन कर पाएंगे, जिससे बाजार में उसकी अच्छी कीमत भी मिलेगी।