मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का फायदा लेकर किसान अपनी आमदनी में बढ़ोतरी कर सकते हैं, क्योंकि फसलों की जरूरत के हिसाब से उन्हें पोषण मिलेगा।
किसान मिट्टी की जरूरत समझें
अब समय आ गया है कि किसानों को मिट्टी को समझना होगा। इसके लिए वे वैज्ञानिक समझ को अपने हाथ में ले सकते हैं। बता दें कि मिट्टी की जांच की जाती है और उसके अनुसार यह पता चल जाता है कि मिट्टी को किस खाद की जरूरत है। अगर किसान उसी के अनुसार खाद का उपयोग करेंगे तो पहले से ज्यादा उत्पादन मिलेगा। स्वास्थ्य मिट्टी होगी, तभी फसल को उचित पोषण मिलेगा।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना फरवरी 2015 में शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य यही है कि देश के हर खेत की मिट्टी की जांच की जाए। इसमें किसानों को 12 महत्वपूर्ण मानकों की जानकारी दी जाती है। इसके आधार पर किसान सही खाद और उसकी मात्रा का उपयोग करते हैं। इससे खेती का खर्च कम होता है और मुनाफा ज्यादा मिलता है।
बताया जा रहा है कि जुलाई 2025 तक 25 करोड़ से अधिक कार्ड बनाए जा चुके हैं। वहीं, फरवरी 2025 तक इस योजना में 17 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए गए हैं। अब तक 8,272 प्रयोगशालाएँ स्थापित की जा चुकी हैं और 21 राज्यों के किसान इस योजना से जुड़ चुके हैं। यह योजना ऑनलाइन और मोबाइल के माध्यम से भी किसानों तक पहुंच रही है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड कैसे बनवाएं
मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाने के लिए किसान को अपने खेत की मिट्टी का नमूना लेना होगा। इसके बाद वह अपने नजदीकी कृषि विभाग या जिला कृषि कार्यालय में जाकर मृदा स्वास्थ्य कार्ड के लिए आवेदन कर सकता है और नमूना जमा कर सकता है।
मिट्टी का परीक्षण होने के बाद यह पता चल जाता है कि मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्व किस मात्रा में हैं, जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम इत्यादि। मिट्टी का परीक्षण मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में किया जाता है। इससे फसल उत्पादन में सुधार होता है, खाद का सही मात्रा में उपयोग होता है और पर्यावरण संरक्षण में भी यह योजना सहायक है।