12वीं के बाद पढ़ाई में नहीं लगा मन तो शुरू की खेती, एक बीघा से हो रही 2 लाख की आमदनी, पुराना नहीं नया तरीका अपना कर छाप रहे पैसा

On: Tuesday, August 19, 2025 9:00 AM
किसान की सफलता की कहानी

किसान की सफलता की कहानी जानकर आप भी अपनी खेती से होने वाली आमदनी में वृद्धि कर सकते हैं। तो चलिए, बताते हैं कैसे।

किसान की सफलता की कहानी

खेती-किसानी अब पहले की तरह कम कमाई वाली नहीं रह गई है। इससे कई लोग अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं। व्यावसायिक तौर पर खेती की जा रही है। लोग बड़ी-बड़ी नौकरियां छोड़कर अब खेती की तरफ आ रहे हैं।

आज हम जिस युवा किसान की बात कर रहे हैं, वह 12वीं पास है। इसके बाद पढ़ाई में मन नहीं लगा, तो खेती करने लगे। लेकिन खेती भी उन्होंने ऐसे तरीके से शुरू की, जिससे अच्छी-खासी कमाई हो रही है और पारंपरिक खेती करने वाले किसानों को उन्होंने पीछे छोड़ दिया है। इनका नाम आनंद कुमार है और यह रायबरेली जनपद के रहने वाले हैं। 5 साल से खेती कर रहे हैं, जिससे अब अच्छा नाम बना चुके हैं।

सीजन के अनुसार लगाते हैं अलग-अलग फसलें

किसानों को समय के अनुसार ही खेती करनी चाहिए। जैसे, जिस सीजन में जो फसल लगानी चाहिए, उसी समय लगानी चाहिए। जलवायु, मिट्टी आदि का भी ध्यान रखना जरूरी है।

आनंद कुमार बताते हैं कि वह सर्दियों में फूलगोभी, पत्तागोभी की खेती करते हैं तथा गर्मी और बरसात में बेल वर्गीय सब्जियों की खेती करते हैं, जैसे लौकी, कद्दू, तुरई इत्यादि। इसके अलावा, मिर्च की खेती भी करते हैं, जो लंबी अवधि की फसल होती है और अच्छा मुनाफा देती है। इस तरह, वह छोटी और लंबी अवधि, दोनों तरह की सब्जियां लगाकर कम खर्चे में ज्यादा कमाई कर पा रहे हैं।

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एक बीघा से होती है 2 लाख तक की आमदनी

एक बीघा जमीन से, जहां पारंपरिक फसलों से कुछ हजार का मुनाफा होता है, वहीं आनंद कुमार लाखों में कमाई कर पाते हैं। वह बताते हैं कि एक बीघा जमीन में लौकी की खेती से डेढ़ से 2 लाख रुपए की कमाई कर लेते हैं, जिसमें खर्चा केवल 30 से 40 हजार रुपए तक आता है।

इसका कारण यह है कि वह लौकी की सामान्य विधि से खेती नहीं करते, बल्कि मचान विधि से करते हैं। इसमें अच्छी गुणवत्ता वाली लौकी मिलती है, खरपतवार, रोग और बीमारियों की समस्या नहीं आती, उत्पादन अधिक मिलता है और बरसात में जलभराव की समस्या भी नहीं होती। खेतों में बीच-बीच में नाली बनाकर जल निकासी की बेहतर व्यवस्था करते हैं। बांस की लकड़ी लगाकर पौधों को सहारा देते हैं।

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