अफीम की खेती के लिए बीज कहां मिलेंगे, तथा सरकार से इसके लिए लाइसेंस कैसे मिलेगा, चलिए जानते हैं।
अफीम का इस्तेमाल
अफीम का इस्तेमाल नशे के लिए किया जाता है, यह सबको जानकारी है। लेकिन आपको बता दें कि यह एक औषधीय पदार्थ भी है। कई तरह की दवाइयां बनाने में इसका इस्तेमाल किया जाता है। जब मरीज को असहनीय दर्द होता है, तो मॉर्फिन का इस्तेमाल किया जाता है, जो कि एक दर्द निवारक दवा है। इससे दर्द से राहत मिलती है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी में इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए भारत में कानूनी तौर पर अफीम की खेती होती है।
अफीम की खेती के लिए लाइसेंस
अफीम का इस्तेमाल एक नशीले पदार्थ के तौर पर भी किया जाता है, इसलिए इसकी खेती के लिए लाइसेंस लेना जरूरी है। ताकि इसका दुरूपयोग न हो। भारत एक ऐसा देश है, जहां अफीम की खेती कानूनी तौर पर होती है। इसके लिए किसानों को लाइसेंस लेना पड़ता है। पूरी जांच के बाद किसानों के खेत में एक निश्चित क्षेत्र में अफीम की खेती की जाती है और बीज भी विभाग द्वारा दिया जाता है। इसके बाद अफीम की खरीद भी विभाग द्वारा की जाती है।
अफीम की खेती के लिए कहां से मिलेगा बीज?
अफीम की खेती के लिए बीज किसानों को नारकोटिक्स विभाग के इंस्टीट्यूट से मिलता है। अफीम की खेती के लिए लाइसेंस किसानों को नारकोटिक्स आयुक्त के अधीन केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो (CBN), ग्वालियर, मध्य प्रदेश से दिया जाता है। इसके लिए इच्छुक किसानों को नारकोटिक्स ब्यूरो की वेबसाइट http://cbn.nic.in/en/opium/forms/ पर जाकर लाइसेंस के लिए आवेदन करना होता है। आवश्यक दस्तावेज सही-सही जमा करने होते हैं।
अगर किसान का चयन हो जाता है, तो नारकोटिक्स विभाग के इंस्टीट्यूट से अफीम के बीज दिए जाते हैं। इसके बाद CBN के अधिकारी किसान के खेत में जाकर नापते हैं और एक निश्चित क्षेत्र में ही किसान खेती कर सकते हैं। अपने हिसाब से क्षेत्र बड़ा नहीं किया जा सकता, अन्यथा किसानों के ऊपर कार्रवाई हो सकती है।
जब फसल तैयार हो जाती है और उत्पादन निकल आता है, तो किसानों को CBN द्वारा बताए गए केंद्रों में अफीम ले जाकर जमा करनी होती है। वहां पर इसे CBN को सौंप दिया जाता है। किसान इसे कहीं और बेच नहीं सकते। यदि ऐसा किया जाता है, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसलिए अफीम की खेती केवल वही किसान कर सकते हैं, जो लाइसेंस लेकर सभी नियमों का पालन करें।

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