गौधाम योजना के तहत पशुओं के पालन के लिए कई तरह से आर्थिक मदद दी जा रही है, जिसमें ₹10,000 से लेकर ₹2,50,000 तक की सहायता मिल रही है।
गौधाम योजना क्या है?
गौधाम योजना, गोपालन और गौशाला से जुड़ी एक योजना है, जिसके तहत प्रदेश में जो बेसहारा पशु घूमते हैं या फिर अवैध तस्करी के दौरान जो गाय पकड़ी जाती हैं, उन्हें एक सुरक्षित आवास देना तथा चारे-दाने की व्यवस्था करना शामिल है। इसमें निराश्रित और घुमंतू गोवंश की देखभाल की जाती है तथा नस्ल सुधार आधारित उद्योग और चारागाह विकास को बढ़ावा दिया जाता है।
इस योजना के लिए वित्त और पशुधन विकास विभाग द्वारा मंजूरी दी जा चुकी है। शुरुआती चरण में नेशनल हाईवे के आसपास के ग्रामीण इलाकों के लोगों को इसका लाभ मिलेगा। एक गोदाम में लगभग 200 पशु रखे जा सकते हैं। अब आइए जानते हैं, इस योजना के तहत मिलने वाले पैसों के बारे में।
गौधाम योजना के तहत मिलने वाले फायदे
- पशुओं का चारा उगाने के लिए प्रति एकड़ ₹47,000 दिए जाते हैं। 5 एकड़ तक में चारा उगाने पर ₹2,50,000 की सहायता मिलती है।
- पशुओं की देखभाल करने वाले चरवाहों को हर महीने ₹10,916 का वेतन मिलेगा।
- गौशालाओं में काम करने वालों को ₹13,126 का वेतन मिलेगा।
- पशुओं के लिए प्रतिदिन ₹10 से लेकर ₹35 तक प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। जिसमें पहले साल ₹10, दूसरे साल ₹20, तीसरे और चौथे साल ₹30 और ₹35, यानी राशि हर साल बढ़ती जाएगी।
किसे मिलेगा गौधाम योजना का फायदा?
गौधाम योजना छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस योजना के तहत पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और ग्रामीणों को स्थाई आय का स्रोत मिलेगा। यह योजना गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मददगार होगी।
इस योजना का संचालन तय नियम, शर्त और बजट के अनुसार किया जाएगा। इसका लाभ छत्तीसगढ़ के वे लोग उठा सकते हैं, जो नेशनल हाईवे के आसपास ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं।
सरकारी जमीन पर बड़े पशु आश्रय स्थल बनाए जाएंगे, जहाँ पशुओं के लिए सभी तरह की सुविधाएं होंगी। संचालन की जिम्मेदारी शुरुआती तौर पर पंजीकृत गौशालाओं, स्वयंसेवी संस्थाओं, ट्रस्ट, किसान उत्पादक कंपनियों, सहकारी समितियों और एनजीओ को दी जाएगी।
पशुपालन से निकले गोबर का उपयोग चरवाहे खाद बनाने में कर सकते हैं। सरकार ग्रामीणों को गोमूत्र, खाद और अन्य उत्पाद जैसे काष्ठ, दिया, अगरबत्ती आदि बनाने की ट्रेनिंग भी देगी, जिससे वे अतिरिक्त कमाई कर सकें। यह ग्रामीणों के लिए एक अलग आजीविका का जरिया बनेगा।