अगर आप धान में डीएपी और ज़िंक का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो आइए बताते हैं कि इसके इस्तेमाल का सही तरीका क्या है।
धान में डीएपी और ज़िंक डालने के फायदे
धान की फसल में डीएपी और ज़िंक डालने के कई फायदे हैं, जैसे डीएपी डालने से फसल को फॉस्फोरस और नाइट्रोजन जैसे ज़रूरी पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे पौधों की जड़ें मज़बूत होती हैं और विकास तेज़ होता है। ज़िंक की बात करें तो धान में ज़िंक डालने से काफ़ी पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। यह पौधों को क्लोरोफिल बनाने में मदद करता है, जिससे किसानों को ज़्यादा उत्पादन मिलता है, लेकिन इन दोनों उर्वरकों को डालने का एक सही समय और तरीका होता है, तो आइए जानते हैं कि धान में डीएपी और ज़िंक कब डालें।
धान में गलत तरीके से डीएपी और जिंक डालने के नुकसान
धान की खेती करने वाले किसान लाभ उठाने के लिए डीएपी और जिंक डालते हैं, लेकिन अगर डीएपी और जिंक एक साथ डाल दिया जाए, तो दोनों आपस में चिपक जाते हैं, जिससे किसानों को डीएपी और जिंक दोनों का लाभ नहीं मिल पाता, जिससे कोई फायदा नहीं होता, नुकसान ही होता है, जो भी लागत आती है, वह पानी में चली जाती है।
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धान में डीएपी और जिंक डालने का सही तरीका
अगर आप धान के खेत में डीएपी और जिंक डाल रहे हैं, तो आपको एक बार प्रक्रिया का ध्यान रखना होगा, जिसमें सबसे पहले आपको खेत में डीएपी खाद डालनी होगी, उसके 8 दिन बाद आपको जिंक डालना चाहिए, ऐसा करने से ही फसल को फायदा होगा, धान की जड़ मजबूत होगी और उत्पादन भी अधिक होगा, ऐसा करने से कल्लों की संख्या बढ़ती है, जिससे उपज अधिक होती है, जिसमें किसानों को गुणवत्ता का भी ध्यान रखना चाहिए, कई तरह की कंपनियां बाजार में जिंक भेजती हैं, जिसमें आपको अच्छी क्वालिटी का जिंक आदि डालना चाहिए।
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