अगर आप एक पशुपालक है, दुधारू पश, पक्षी, भार ढोने वाले पशु आदि का पालन करते हैं तो बाढ़ में अगर पशु की मृत्यु होती है तो मुआवजा मिलेगा चलिए जानते हैं कैसे-
बरसात में पशुपालकों की समस्याएं
इस साल बहुत ज्यादा भारी बारिश हुई है, जिसके कारण पशुपालकों को भी नुकसान हो रहा है। कई इलाकों में बहुत ज्यादा बारिश के कारण बाढ़ आपदा के स्थिति पैदा हो गई है तो ऐसे में पशुओं को समस्या आ जाती है। अगर वह घर से बाहर है सुरक्षित जगह पर नहीं है तो पानी में पशु या डूब जाते हैं जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है, ऐसे में पशुपालक को जान-माल का नुकसान हो जाता है। जिसमें अगर आप गाय, भैंस, भेड़, बकरी, सूअर, मुर्गी, घोड़ा, ऊंट आदि का पालन करते हैं तो चलिए जानते हैं बाढ़ में पशु की मृत्यु होने पर किस तरीके से कितने रुपए मिलते हैं।
बाढ़ में पशुओं की मृत्यु पर कितना मुआवजा मिलता है?
- बाढ़ में पशुओं की मृत्यु होने पर पशुपालक को मुआवजा दिया जाता है। जिसके लिए सहाय्य अनुदान योजना चलाई जा रही है। इस योजना के अंतर्गत अगर दुधारू पशु की मृत्यु होती है तो प्रति पशु 37500 दिए जाते हैं। जिसमें ज्यादा से ज्यादा तीन पशुओं का मुआवजा ले सकते हैं। जिसमें गाय, भैंस, ऊंट जैसे बड़े पशुओं की गिनती की जाती है।
- इसके अलावा छोटे पशु जैसे की बकरी, भेड़ या फिर सूअर की मृत्यु बाढ़ से होती है तो प्रति पशु ₹4000 दिया जाता है। जिसमें ज्यादा से ज्यादा 30 पशुओं के लिए मुआवजा का लाभ उठा सकते हैं।
- वहीं अगर भार ढोने वाले पशु जैसे कि घोड़ा, ऊंट पर मुआवजा दिया जाता है। जिसमें अधिकतम 30 पशुओं के लिए मुआवजा ले सकते हैं।
- इसके अलावा बछड़ा, खच्चर और गधा के लिए ₹20000 प्रति पशु मुआवजा दिया जाता है। जिसमें ज्यादा से ज्यादा 6 पशुओं की संख्या रखी गई है।
- वहीं अगर मुर्गी पालन करते हैं तो ₹100 प्रति मुर्गी का लाभ दिया जाता है। जिसमें 5000 तक की मुर्गियों के लिए मुआवजा प्राप्त कर सकते हैं।
योजना का फायदा कैसे होता है
जैसा कि हमने जाना कि पशुओं की मृत्यु बाढ़ के कारण होने पर सहाय्य अनुदान योजना के तहत मुआवजा दिया जाता है। जिसमें पशुपालक को अगर पशु का शव मिल जाए या ना मिले दोनों ही शर्त पर उन्हें मुआवजा मिलता है। लेकिन इसके लिए पशु के शव मिलने पर पशु चिकित्सा अधिकारी को सूचना देनी पड़ती है। जिसके बाद आगे की कार्यवाही होती है।
इसके अलावा पशु का शव ना मिलने पर स्थानीय थाने में जानकारी देनी पड़ती है, फिर ग्राम पंचायत समिति के सदस्यों के द्वारा आवेदन आगे फॉरवर्ड होता है। फिर एफआईआर की कॉपी को अंचला अधिकारी को देना होता है। जिससे फिर मुआवजा मिलता है। इस तरह बाढ़ के कारण पशुपालक को आर्थिक नुकसान होता है तो यह योजना उनकी मदद करती है।