गन्ने की खेती करने वाले किसान अगर फफूंदजनित-तना सड़न रोग से परेशान है तो चलिए जानते हैं इसके लिए गोबर वाला उपाय कैसे काम करेगा-
गन्ना में रोग
गन्ना की खेती में किसानों को फायदा है। लेकिन इसमें कई तरह की रोग बीमारी देखने को मिलती है। जिससे गुणवत्ता खराब हो सकती है। उत्पादन में कमी हो सकती है। यानी कि एक तरह से किसानों को नुकसान ही होगा। तो इसके लिए किसानों को समय पर उपाय करना चाहिए। जिसमें अगर किसान रासायनिक दवा का इस्तेमाल करते हैं तो खर्चा बढ़ जाता है। तथा इससे दुष्प्रभाव होता है। इसलिए यहां पर एक जैविक तरीका बताने जा रहे हैं। जिसमें गोबर का इस्तेमाल कर सकते हैं। जिसमें गन्ना में अगर फफूंद जनित रोग या तना सड़न रोग लगा है तो इसके लिए क्या करना है यह जानते हैं।
गन्ने की फसल में गोबर का उपाय
गोबर एक जैविक खाद है। लेकिन इसका इस्तेमाल किसान सिर्फ उत्पादन बढ़ाने, मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए, नहीं बल्कि रोग बीमारी में कर सकते हैं। जैसे की गन्ना में फफूंद जनित रोग और तना सड़न रोग लगा हुआ है तो इसके लिए 5 किलो गोबर ले ले और उसमें 250 से 500 ग्राम तक ट्राइकोडर्मा विरिडी मिला कर इस्तेमाल करें। जिससे जो गांठे लगती हैं जड़ों में और जड़ सड़न रोग, जिससे पौधे गिर जाते हैं। इसके अलावा बीज सड़न जिससे अंकुरण अच्छे से नहीं होता है, तो इसमें फायदा करता है। चलिए जानते हैं इसका इस्तेमाल कैसे करना है।
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किस तरह करें खेत में छिड़काव
गोबर और ट्राइकोडर्मा विरिडी मिलाकर खेत में डालने से इन रोगों से फसल को बचा सकते हैं। जिसे पौधों की जड़ों के आसपास मेड पर डालना है। ध्यान रखें जब मिट्टी में हल्की नमी हो उस समय आप इसे डाल सकते हैं। मिट्टी उपजाऊ तो होती है, साथ ही जो सूक्ष्म जीव है, किसान के मित्र वह भी सक्रिय हो जाते हैं। ट्राइकोडर्मा का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है क्योंकि इससे फफूंद जनित रोग से भी फसल बची रहती है। इसमें रासायनिक दावों का इस्तेमाल करने से जो खर्चा आता है, वह भी नहीं होता।