किसान बरसात में डीजल की खेती कर सकते हैं, आइए बताते हैं कि यह कैसे होता है, और खेती का तरीका क्या है-
डीजल की खेती
किसान बरसात में कई तरह की फसलों की खेती करने वाले हैं, जिनमें मुख्य रूप से ज़्यादातर किसान धान की खेती कर रहे हैं, लेकिन जो किसान धान जैसी पारंपरिक फसलें लगाकर परेशान हैं, उन्हें बिल्कुल भी मुनाफ़ा नहीं हो रहा है और जो किसान खेती के लिए समय नहीं दे पा रहे हैं, वे डीजल की खेती कर सकते हैं, इसके पौधे एक बार लगाने होते हैं, इससे 50 साल तक कमाई होती है।
दरअसल, यहाँ जेट्रोफा की बात कर रहे हैं, जिसे बरसात में मिट्टी में नमी होने पर लगाया जा सकता है। जेट्रोफा के बीजों से बायोडीजल बनता है, जिससे डीजल से गाड़ियाँ चलती हैं। आप जानते ही हैं कि समय के साथ डीजल की कीमत बढ़ती जा रही है, ऐसे में किसानों को इसकी खेती में मुनाफ़ा मिलेगा, आइए जानते हैं इसकी खेती के बारे में।
जेट्रोफा की खेती कैसे की जाती है
जेट्रोफा की खेती के लिए किसानों को खेतों में इसके पौधे लगाने होते हैं, जिसके लिए पहले नर्सरी तैयार करनी होती है, फिर पौधों की रोपाई करनी होती है। बीजों को 24 घंटे पानी में भिगोया जाता है, फिर उनकी नर्सरी तैयार होती है, फिर गड्ढे खोदे जाते हैं और उनमें पौधे रोपे जाते हैं। पौधों को अच्छी तरह से विकसित करने के लिए, पहले गड्ढों में जैविक खाद डालें, उन्हें धूप लगने दें, फिर पौधों की रोपाई करें।
पौधों को 2 मीटर की दूरी पर लगाएँ, ताकि वे अच्छी तरह से विकसित हों। पौधों को घना बनाने के लिए बीच-बीच में छटाई करते रहें। जेट्रोफा के फल पकने में 6 से 8 महीने लगते हैं। ऐसे में इसकी खेती किसान आसानी से कर सकते है।
जेट्रोफा के बीजों से कितना तेल निकलता है
जैसा कि हम जानते हैं, जेट्रोफा के बीजों से तेल निकाला जाता है और उस तेल का इस्तेमाल डीजल के रूप में किया जाता है, तो आपको बता दें कि इसके बीजों से लगभग 25 से 30% तेल निकाला जाता है। जेट्रोफा की खेती मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के साथ-साथ राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात, कर्नाटक में कोई भी कर सकता है। इसकी खेती उष्णकटिबंधीय जलवायु में की जाती है। जेट्रोफा की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी चुनें।
अगर मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी है, तो चिंता न करें। यह पौधा पथरीली और बंजर मिट्टी में भी उगाया जा सकता है, बस जलभराव न हो और जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो। जेट्रोफा के लिए 5.4 से 8.4 के बीच का pH मान अच्छा माना जाता है। ऐसी मिट्टी में भी यह पौधा उगाया जा सकता है।