धान के किसान खरपतवार की समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं तो चलिए एक शाकनाशी (herbicide) की जानकारी देते हैं, जो की खरपतवार नियंत्रण करने में माहिर है-
धान के खेतों में खरपतवार नहीं उगेगा
धान के खेतों में खरपतवार उगना एक आम समस्या है। खेत में पानी भरपूर होता है, जिससे खरपतवार आसानी से उगते हैं और तेजी से बढ़ने लगते हैं। जिसमें घास, चौड़ी पत्ते वाले, सेज आदि खरपतवार उगते हैं। जिससे धान की फसल को नुकसान होता है। तो अगर आप चाहते हैं की रोपाई के बाद धान की फसल खेत में खरपतवार ना उगे तो साथ शाकनाशी का इस्तेमाल कर सकते हैं। जिसे धान की रोपाई के बाद छिड़का जाता है।
एक एकड़ में 500 से 600 ml दवा का इस्तेमाल कर सकते हैं तो चलिए आपको इस दवा का नाम और इसकी खासियत साथ ही इस्तेमाल करने का तरीका बताते हैं।
इस शाकनाशी को डालने से खरपतवार होगी नियंत्रित
जिस शाकनाशी (herbicide) की बात कर रहे हैं उसका नाम प्रेटिला-ईडब्ल्यू है। इससे धान की फसल में उगने वाले खरपतवारों को कंट्रोल किया जा सकता है। इसे छिड़कने के बाद वह खरपतवार नहीं उगते हैं, जिससे धान की फसल का विकास अच्छे से होता है, उन्हें पूरा पोषण मिलता है, और उत्पादन भी बढ़िया मिलता है।
प्रेटिला-ईडब्ल्यू एक व्यापक स्पेक्ट्रम, चयनात्मक, पूर्व-उद्भव शाकनाशी है। इसका इस्तेमाल रोपे गए धान में खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। इसमें प्रीटिलाक्लोर 37% EW (इमल्सीफिएबल कंसन्ट्रेट) होता है। यह एक प्रभावी शाकनाशी है।
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इस्तेमाल कैसे करना है
इस्तेमाल की बात करें तो इस शाकनाशी को धान की रोपाई के 5 दिन के भीतर कर सकते हैं। जिसमें एक एकड़ में 500 से 600 एमएल दवा का इस्तेमाल करना होता है। इसका जो डब्बा होता है उसमें ढक्कन में एक छेद होता है, जिससे खेत में चारों तरफ स्प्रे कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें जब आप इस स्प्रे करते हैं उस समय खेत में पानी भर रहना चाहिए।
इसके बाद यह भी कहा जाता है कि अगर बारिश हो जाती है तो भी किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ती है। इसका इस्तेमाल करते समय सुरक्षातमक कपड़े पहने, दस्ताने पहने और चश्मा भी लगा कर रखें। ताकि आपको किसी तरह का नुकसान ना हो। कहा जाता है कि इसका इस्तेमाल करने के बाद 24 घंटे तक पानी खेत में रहे तो बेहतर होता।