महिला किसान ने मजदूरी छोड़कर कुछ अपना करने की ठान ली और आज दो एकड़ की जमीन से लाखों का कारोबार कर रहे हैं तो चलिए बताते हैं कैसे-
किसान की सफलता की कहानी
नमस्कार किसान भाइयों, हम रोजाना आपके साथ कुछ किसानों की सफलता की कहानी साझा करते हैं। जिससे उनके साथ अन्य किसान भी खेती से होने वाली आमदनी को बढ़ा सके। जिसमें आज एक ऐसी महिला की बात कर रहे हैं जो पहले मजदूरी किया करती थी, शादी के पहले और शादी के बाद भी। उनके ससुराल में सिर्फ दो एकड़ की जमीन थी, जिसके बाद उन्हें मजदूरी करना पड़ा। लेकिन आज उनके पास लाखों का खुद का व्यवसाय है। महिला महाराष्ट्र की रहने वाली है, उनका नाम वंदना टेकले है और आज एक जानी-मानी शख्सियत बन चुकी है।
2017 से शुरू हुआ सफर
महिला के अंदर बचपन से ही कुछ अलग करने की चाह थी और आज उन्होंने कर दिखाया। बता दे की 2017 में उन्होंने अपने आसपास की महिलाओं के साथ छोटे-छोटे व्यवसाय करने लगी। महिलाओं के साथ मिलकर उन्होंने अंबिकामाना बचत गट बनाया और कई तरह के व्यवसाय से थोड़ी बहुत आमदनी होने लगी। जिसमें वह वर्मी कंपोस्ट, दसपर्णी अर्क, जीवामृत जैसे जैविक खाद और कीटनाशक बनाने लगे। इसके अलावा वह साबुन, पापड़, मसाला आदि बनाने का काम भी करती थी। लेकिन अंत में उन्होंने किसानों की समस्या को समझ कर लाखों का कारोबार खड़ा कर दिया।
दरअसल वह किसानों को देखा कि उनकी बची हुई फसल जब कीमत गिर जाती है तो उन्हें फेंकना पड़ जाता है। लेकिन अब उस फसल से भी किसान आमदनी कर सकते हैं, तो चलिए आपको बताते हैं बची हुई फसल से कैसे किसान को मुनाफा दे रही है।
किसान की बची हुई फसल भी देगी मुनाफा
कुछ किसानों के लिए खेती एक तरह से आजकल जुआ ही हो गई है, अगर बाजार में कीमत गिर जाती है तो किसान को नुकसान हो जाता है। जिससे किसानों को सड़कों पर भी फसल फेकनी पड़ती है। लागत भी नहीं निकलती है। लेकिन वंदना जी ने कुछ ऐसा कर दिखाया कि किसानों को बड़ा लाभ हो रहा है। वंदना जी को महाराष्ट्र में कृषि विभाग द्वारा कृषि सखी भी बना दिया गया था, और बाद में उन्होंने किसानों की मदद करने के लिए फूड प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग ली और फिर बची हुई सब्जियों को सुखाकर पैक कर कर उसे बेचने लगी।
जिसमें मशीन के लिए उन्होंने पीएम सूक्ष्म खाद्य प्रसंकरण उद्योग योजना की मदद ली। जिसमें अनुदान मिला और अब वह करेला, कद्दू, लौकी, टमाटर के साथ हरे पत्तेदार सब्जियों को सुखाकर उनकी बिक्री करते हैं। 250 ग्राम से लेकर 1 किलो तक की सब्जियों को पैक करके बेंचते हैं। इसमें लागत कम और आमदनी ज्यादा होती है।
आपको बता दे कि उनके साथ पांच महिलाएं मिलकर काम करती हैं और सैकड़ो ग्राहक है जिससे उनका प्रोडक्ट आसानी से बिक जाता है। लेकिन वह इतने में नहीं रुकने वाली है, देश के साथ-साथ विदेश में भी अपने प्रोडक्ट की बिक्री करेंगी।
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