कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों का किया बेड़ा पार, कम खाद में मिलेगा धुआंधार उत्पादन, मिट्टी में मिलाएं ये वैज्ञानिकों की बनाई चीज और फिर देखें अंतर

किसानों की मदद करने के लिए खेत से अधिक उत्पादन लेने के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने कमाल की खोज की है, चलिए जानते हैं इसके बारे में-

किसानों के लिए वैज्ञानिकों का शोध

किसानों की मदद करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा समय-समय पर नए-नए शोध किए जाते हैं। खेती के तरीकों में सुधार किया जाता है, तथा कम खर्चे में किसानों को अधिक उत्पादन मिले इसका प्रयास किया जाता है। जिसमें हाल ही में उत्तर प्रदेश के गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिक को द्वारा किसानों के लिए एक कमाल की चीज बनाई गई है। जिसे खेत में डालने से कम खाद में भी किसान पहले से अधिक उत्पादन प्राप्त कर पाएंगे।

दरअसल, वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर किसान खेत में डीएपी जैसी फास्फेटिक उर्वरक खेत में डालते हैं तो पौधों को 15 से 25% तक ही पोषण मिलता है, बाकी का 75% तक पोषण मिट्टी में ही रह जाता है। जिससे किसानों को कोई फायदा नहीं होता है। इस वजह से किसानों को ज्यादा खाद डालनी पड़ती है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा एक ऐसी चीज है जिसे मिट्टी में अगर मिला दिया जाए तो जमीन में नहीं 75% तक पोषण पूरा पौधों को मिलेगा।

इस चीज को मिट्टी में मिलाएं और पहले से अंतर देखें

इस चीज को मिलाने से खाद का खर्चा कम हो जाएगा, अधिक खाद बार-बार नहीं देना पड़ेगा, कम खाद में किसानों को अच्छी फसल मिलेगी। क्योंकि गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिकों ने स्यूडोमोनास बैक्टीरिया से पीएसबी बनाई है। इसे मिट्टी में मिलाया जाता है, जब खेत की तैयारी की जाती है।

खेत की तैयारी करते समय अंतिम जुताई से पहले पुरानी गोबर की खाद या फिर मिट्टी के साथ पीएसबी को मिलाकर खेत में छिड़का जाता है। यह प्रक्रिया शाम के समय की जाती है। उसके बाद जुताई करके पानी खेत में छोड़ा जाता है। इसमें जो बैक्टीरिया होते हैं वह मिट्टी में पड़े फास्फेट खाद को घोलने का काम करते हैं। जिससे पौधों को पोषण मिलता है, चलिए आपको बताते हैं कितनी मात्रा में इस्तेमाल करना है और इसकी कीमत क्या है।

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पीएसबी की कीमत और इस्तेमाल की मात्रा

इस चीज के लिए किसानों को ज्यादा खर्चा नहीं करना पड़ेगा। पीएसबी मात्र ₹50 में किसानों को मिलेगा। अगर यह खरीदना चाहते हैं तो उत्तर प्रदेश के गन्ना शोध परिषद के संस्थान में जाकर संपर्क कर सकते हैं। वह बताते हैं कि एक हेक्टेयर में 10 किलो इस्तेमाल किया जाता है। जिससे किसानों को अच्छा रिजल्ट देखने को मिलेगा। अगर किसानों को बार-बार डीएपी खाद डालना पड़ रहा है तो इसका इस्तेमाल एक बार करके जरूर देखना चाहिए।

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