फसल अवशेष और खरपतवार की चिंता छोड़े किसान, यह मशीन एक साथ करेगी 3 काम, खेती का खर्चा होगा आधा, जानिए मशीन की कीमत और सब्सिडी

On: Friday, June 6, 2025 4:11 PM
फसल अवशेष का प्रबंधन

इस लेख में एक ऐसी मशीन के बारे में जानकारी देने जा रहा हूं जिससे फसल अवशेष का प्रबंधन किया जा सकता है, मिट्टी को उपजाऊ बनाया जा सकता है-

फसल अवशेष और खरपतवार की समस्या

खेती में किसानों के सामने कई तरह की समस्याएं आती हैं जैसे फसल की कटाई के बाद बचे अवशेषों का प्रबंधन करना और खरपतवार निकालना, जिसमें पहले किसान बचे हुए अवशेषों को जला देते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं कर सकते। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल/ एनजीटी के तहत किसानों को फसल अवशेष जलाने पर रोक लगाई गई है। फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण में प्रदूषण होता है, मिट्टी खराब होती है, किसानों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है, यह किसी भी तरह से फायदेमंद नहीं है।

इसलिए किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन का दूसरा तरीका खोजना होगा, जिसमें कृषि यंत्रों की मदद से किसान फसल अवशेष को खाद में बदल सकते हैं और खरपतवार की समस्या से भी बच सकते हैं, तो चलिए आपको उस मशीन के बारे में बताते हैं।

जानिए मशीन का नाम और खासियत

दरअसल, हम यहां मल्चर की बात कर रहे हैं। मल्चर एक कृषि यंत्र है जो फसल अवशेष का प्रबंधन करता है। जब इसे खेत में चलाया जाता है तो सारे फसल अवशेष छोटे-छोटे टुकड़ों में कटकर मिट्टी में मिल जाते हैं। कुछ समय बाद ये खाद का रूप ले लेते हैं। फसल अवशेष के छोटे-छोटे टुकड़े खरपतवार को उगने नहीं देते, जिससे किसानों को कई फायदे मिलते हैं।

इस तरह कृषि यंत्र की मदद से फसल अवशेष का निपटान हो जाता है। मिट्टी भी उपजाऊ बनती है और खरपतवार भी नहीं उगते, जिससे मजदूरी भी नहीं लगती और खाद का खर्च भी कम होगा, पैदावार भी ज्यादा होगी, आमदनी भी ज्यादा होगी। आइए जानते हैं इस मशीन की कीमत और इस पर मिलने वाली सब्सिडी के बारे में।

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मशीन की कीमत और इस पर मिलने वाली सब्सिडी

यह मशीन किसानों को यह कई कंपनियों से मिलेगी, जिनकी कीमत भी अलग-अलग हो सकती है। बाजार में 7 फीट और 8 फीट साइज के मल्चर उपलब्ध हैं, जिनकी कीमत अलग-अलग है। मल्चर को चलाने के लिए ट्रैक्टर की जरूरत होती है, जिसमें 7 और 8 फीट साइज के लिए 50 से 60 हॉर्स पावर का ट्रैक्टर चाहिए। अगर किसान को मल्चर का इस्तेमाल करना है तो 1 घंटे में तीन से चार लीटर डीजल की जरूरत होती है और यह तीन से चार एकड़ जमीन पर काम कर सकती है। यह मशीन 1 घंटे के अंदर बहुत तेजी से काम करती है, जिससे किसानों का समय बचता है।

अगर इसकी कीमत की बात करें तो इसकी कीमत दो लाख रुपये है, जिस पर सरकार की तरफ से 50% सब्सिडी दी जा रही है, यानी कि किसान को सीधे आधी मूल कीमत चुकानी होगी। अगर किसान सब्सिडी पर मशीन लेना चाहता है तो वह कृषि विभाग से संपर्क कर सकते है, वहां उन्हें जानकारी मिल जाएगी।

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