Agriculture tips: मक्के की फसल का दुश्मन है ये खतरनाक कीट, इस दवा का करें छिड़काव पैदावार में होगी खूब वृद्धि, फसल के बचाव के लिए जाने उपाय

On: Saturday, May 24, 2025 9:36 AM
Agriculture tips: मक्के की फसल का दुश्मन है ये खतरनाक कीट, इस दवा का करें छिड़काव पैदावार में होगी खूब वृद्धि, फसल के बचाव के लिए जाने उपाय

मक्के की खेती में इस कीट का प्रकोप फसल को बहुत नुकसान पहुंचाता है जिससे किसानों का बहुत नुकसान होता है तो चलिए इस लेख के माध्यम से जानते है कीट से बचाव के लिए कौन सी दवा का छिड़काव करना चाहिए।

मक्के की फसल का दुश्मन है ये खतरनाक कीट

मक्का की खेती किसानों के लिए बहुत लाभकारी होती है लेकिन मक्का की फसल में फॉल आर्मीवर्म कीट का प्रकोप एक गंभीर समस्या है फॉल आर्मीवर्म कीट मक्का की पत्तियों और पौधों को नष्ट कर देता है जिससे फसल को नुकसान होता है और पैदावार में बहुत खराब गिरावट आती है। ये न केवल पत्तियों को खाता है बल्कि भुट्टे के दानों को भी चट से साफ कर जाता है। जिससे अनाज की गुणवत्ता कम हो जाती है। इस कीट का प्रकोप फसल में तेजी से बढ़ता है इसलिए इसके नियंत्रण के लिए इस दवा का छिड़काव जरूर करना चाहिए।

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इस दवा का करें छिड़काव

मक्के की फसल में फॉल आर्मीवर्म कीट के प्रकोप को नियंत्रण करने के लिए हम आपको डाइमेथोएट 30% EC के बारे में बता रहे है ये एक कीटनाशक है जो मक्का की फसलों में कीटों को नियंत्रित करने के लिए लाभकारी साबित होती है। ये फॉल आर्मीवर्म कीट के अलावा भी तना छेदक, फल छेदक, और जैसिड्स जैसे कीटों को नियंत्रित करने के लिए भी प्रभावी और असरदार साबित होती है इस दवा के अलावा आप नीम के बीज के आर्क या एजाडिरेक्टिन जैविक कीटनाशक का छिड़काव भी कर सकते है ये एक पर्यावरण अनुकूल घोल है एजाडिरेक्टिन से न केवल कीट नियंत्रित होते है बल्कि फसल की गुणवत्ता में भी सुधार होता है।

कैसे करें उपयोग

मक्के की फसल में फॉल आर्मीवर्म कीट के प्रकोप को नियंत्रण करने के लिए डाइमेथोएट 30% EC और एजाडिरेक्टिन जैविक कीटनाशक का उपयोग बहुत ज्यादा उपयोगी और लाभकारी साबित होता है इसका उपयगोग करने के लिए डाइमेथोएट 30% का 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर जमीन के अनुसार इसका छिड़काव कर सकते है और इसके अलावा एजाडिरेक्टिन 1500 पी.पी. एम. 2 मिलीलीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से भी कीट को नियंत्रित किया जा सकता है।

नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।

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