धान की यह किस्म महज 110 दिन में तैयार होगी और एक एकड़ में 32 क्विंटल तक उत्पादन देगी, इसमें कोई बीमारी नहीं लगेगी, 25 दिन में नर्सरी तैयार हो जाएगी

धान की खेती करने वाले किसानों को धान की एक उन्नत किस्म की जानकारी देने जा रहे हैं, जिससे किसानों को कम समय में अच्छा उत्पादन मिलेगा और लागत भी कम आएगी-

धान की किस्म

धान की खेती करने वाले किसानों को इससे फायदा होता है और यह आसान भी है। किसान सालों से धान की खेती करते आ रहे हैं, लेकिन अच्छा उत्पादन पाने के लिए हर साल किसान धान की उन्नत किस्म की तलाश करते हैं। जितनी अच्छी किस्म आप लगाएंगे, उतना ही फायदा होगा। जिसमें आज आपको धान की एक उन्नत किस्म की जानकारी देने जा रहे हैं। इसे तैयार करने का श्रेय शक्ति वर्धक हाइब्रिड सीड्स प्राइवेट लिमिटेड को जाता है। इस किस्म का नाम कोकिला 33 है। आइए आपको इसकी खासियत बताते हैं।

कोकिला 33 धान की किस्म की खासियत

कोकिला 33 धान की एक अच्छी किस्म है जिससे कई किसानों को लाभ मिला है, इसलिए आज इस लेख में इसके लाभों पर चर्चा कर रहे हैं। अगर किसान इस किस्म के धान को लगाते हैं तो फसल मजबूती से खड़ी रहेगी, चाहे मौसम परिवर्तन हो या तूफान, इस फसल पर कोई असर कम पड़ता है, इसके तने मजबूत होते हैं, किसान कहते हैं कि पूरा खेत बालियों से भरा रहेगा, इसके दानों में चमक रहती है, इस पर कोई बीमारी या कीट का हमला नहीं होता, इसे ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती।

जैसा कि आप जानते हैं कि धान की फसल को पानी की ज्यादा जरूरत होती है, लेकिन कोकिला 33 किस्म के धान को लगाने पर सिंचाई की जरूरत कम होती है। कोकिला 33 धान की किस्म 105 से 110 दिन में तैयार हो जाती है, इसकी नर्सरी 25 दिन में तैयार हो जाती है, पौधों की ऊंचाई मध्यम होती है, जिससे फसल जल्दी नहीं गिरती, इसलिए किसानों को फसल लगाने की सलाह दी जाती है।

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धान की बुआई का समय

धान की बुआई के समय की बात करें तो इसकी खेती 15 मई से ही शुरू हो जाती है, 15 मई से 30 दिन तक धान की नर्सरी तैयार की जा सकती है और फिर 20-25 दिन बाद रोपाई का समय होगा। एक एकड़ में 8 से 10 किलो की जरूरत होगी, उसे कतारों में बोया जा सकता है। यह धान की अच्छी किस्म है, इससे कई किसान लाभान्वित हो रहे हैं। यह किस्म छोटे किसानों के लिए अच्छी मानी जाती है लेकिन इसके लिए किसानों को खेत की अच्छी तरह जुताई करनी चाहिए। वे वैज्ञानिक तरीकों से भी खेती कर सकते हैं। अगर कीट प्रबंधन और रोग नियंत्रण के साथ खरपतवार नियंत्रण किया जाए तो अच्छा उत्पादन प्राप्त होगा।

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