किसानों को मिलेगी मक्का, बाजरा और ग्वार की बंपर पैदावार, कृषि विशेषज्ञों ने दी गजब की टिप्स, जानिए कैसे करें ग्रीष्मकालीन फसलों की खेती

On: Wednesday, May 14, 2025 2:00 PM
ग्रीष्मकालीन फसलों की खेती

अगर किसान मक्का, बाजरा और ग्वार जैसी ग्रीष्मकालीन फसलों की खेती करने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं कृषि विभाग ने क्या सलाह दी है-

मक्का, बाजरा और ग्वार

मक्का, बाजरा और ग्वार ग्रीष्मकालीन फसलें भी हैं, गर्मियों में भी इनकी खेती करते हैं। किसान के साथ-साथ पशुपालक भी इन फसलों का चयन करते है। पशुपालक इन फसलों की खेती चारे के लिए करते हैं, लेकिन इनसे प्राप्त अनाज से उन्हें अतिरिक्त आय भी होती है, यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है और बाजार में इनकी मांग भी है, अच्छी कीमत भी मिलती है, इसीलिए कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी है कि किस तरह से खेती करें कि अच्छा उत्पादन मिले ताकि किसानों को इसकी खेती में लाभ मिले।

मक्के की खेती

मक्के की खेती का एक फायदा यह भी है कि इससे उत्पादन अच्छा मिलता है और इसकी खेती चारे के लिए भी की जाती है, लेकिन अगर सही तरीके से की जाए तो अच्छा उत्पादन मिलेगा।

  • जिसमें बुवाई का समय जून से जुलाई के पहले सप्ताह तक अच्छा माना जाता है। इस समय ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि बारिश शुरू हो जाती है।
  • तापमान की बात करें तो 21 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान उपयुक्त माना जाता है। सा
  • थ ही मिट्टी का भी ध्यान रखें, अगर मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 7.5 के बीच है तो वह जमीन मक्के की खेती के लिए अच्छी होती है।
  • मक्के की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी चुनें।
  • भारी दोमट मिट्टी और ऐसी मिट्टी जिसमें नाइट्रोजन अधिक मात्रा में हो जैसे लाल मिट्टी इसकी खेती के लिए अच्छी मानी जाती है।
  • मक्के की बुवाई करते समय दो पंक्तियों के बीच 30 सेमी की दूरी रखें, जिससे फसल का विकास अच्छे से होगा।
  • बुवाई से पहले खेत को अच्छी तरह साफ कर लें।
  • मक्का की बुवाई के कई तरीके हैं, जैसे हाथ से, मशीन से गड्ढा खोदकर भी की जा सकती है और सीड ड्रिल ट्रैक्टर आदि की मदद से मेड़ बनाकर भी मक्का बोया जा सकता है।

किसान मक्का की फसल लगा सकते हैं। यह कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली मानी जाती है।

बाजरा

बाजरा की खेती

किसान और पशुपालक बाजरा की खेती भी करते हैं। यह पशुओं के लिए पौष्टिक चारा उपलब्ध कराता है, जिससे आमदनी भी होती है। यह चारे के साथ अनाज भी देता है। यह भी मक्का की तरह कम लागत वाली फसल है।

  • बाजरा की खेती के लिए जुलाई का पहला पखवाड़ा अच्छा माना जाता है। यह समय उपयुक्त है। बारिश भी शुरू हो जाती है। बारिश से पहले ट्रैक्टर और सीड ड्रिल से खेत की जुताई कर दें।
  • बीज को 30*10 सेंटीमीटर की दूरी पर बोएं।
  • एक हेक्टेयर में 15 से 20 किलो बीज की जरूरत होती है।
  • अच्छा उत्पादन पाने के लिए समय पर सिंचाई और निराई करें।
  • 25 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान उपयुक्त माना जाता है।
  • खेत में पानी की निकासी का अच्छा प्रबंध होना चाहिए। इसकी खेती बरसात के मौसम में की जाती है, इसलिए खेत में पानी रुकने से उत्पादन कम हो सकता है।

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ग्वार की खेती

किसान गर्मियों में भी ग्वार की खेती करते हैं। इसकी गिनती भी गर्मियों की फसलों में होती है। अगर ग्वार की खेती सही तरीके से की जाए तो अच्छा उत्पादन मिलेगा।

  • खेती से पहले खेत की अच्छी जुताई कर लें। ग्वार की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 7 से 8.5 के बीच माना जाता है।
  • अच्छी जल निकासी वाले खेत का चुनाव करें।
  • इसके लिए भारी दोमट मिट्टी अच्छी होती है।
  • अगर तापमान 30 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड है तो समय पर खेती की जा सकती है। इस तापमान में अंकुरण अच्छा होता है।
  • ग्वार की खेती ऐसे क्षेत्र में भी की जा सकती है जहां तापमान 46 डिग्री सेंटीग्रेड तक चला जाता है।
  • बीजों को कीट, रोग या फंगस से बचाने के लिए उपचारित किया जाए तो बेहतर होगा।
  • ग्वार के बीज बोते समय दो पंक्तियों के बीच की दूरी 45 से 50 सेंटीमीटर रखें। अगर किसानों ने एकल तना किस्म चुनी है तो 30 सेंटीमीटर की ही दूरी रखें।
  • दो पौधों के बीच 10 या 15 सेंटीमीटर तक की दूरी रखें।
  • अगर आप दाना के लिए ग्वार की खेती कर रहे हैं तो एच जी- 365, आर जी सी- 1066, आर जी सी- 1003, एच जी- 563 यह अच्छी किस्म है।
  • लेकिन अगर आप चारा के लिए कर रहे हैं तो यह एच एफ जी- 156, और ग्वार की एच एफ जी- 119 बेहतर है।
  • अगर आप सब्जियों के लिए उगा रहे हैं तो पूसा नवबहार ग्वार किस्म, दुर्गा बहार ग्वार किस्म, और पूसा सदाबहार ग्वार किस्म का चयन कर सकते हैं।
  • इसके अलावा आपको अपने इलाके का भी ध्यान रखना चाहिए। अगर आपको अपने इलाके में किसी अन्य किस्म के अच्छे दाम या अच्छा उत्पादन मिलता है तो उसे चुनें।

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