दूध ही नहीं अब गोबर बेचकर भी कमाएंगे पैसा, पशुपालकों से 16 करोड़ टन गोबर खरीदेगी NDDB, जानिए क्या है योजना

पशुपालक दूध के साथ-साथ पशुओं का गोबर बेचकर भी पैसे कमाएंगे। तो आइए जानते हैं NDDB की क्या योजना है-

पशुपालकों से खरीदा जाएगा 16 करोड़ टन गोबर

पशुपालन कमाई का अच्छा विकल्प है, लेकिन अब इससे होने वाली आय में बढ़ोतरी होगी। कई पशुपालक ऐसे हैं जो सिर्फ दूध बेचते हैं और अभी तक गोबर का प्रबंधन नहीं किया है। इससे उन्हें मुनाफा नहीं मिल रहा है, बल्कि सफाई के लिए उन्हें अलग से मजदूरों पर खर्च करना पड़ रहा है, लेकिन एक पशुपालक उस गोबर से भी अच्छा पैसा कमा सकता है। अब पशुपालकों से हर दिन 16 करोड़ टन गोबर खरीदा जाएगा, जिसमें बताया जा रहा है कि इसके पूरे पैसे मिलेंगे।

दिल्ली में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की ओर से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें 15 राज्यों की 26 दुग्ध सहकारी समितियों के साथ समझौता किया गया है। यहां छोटे पशुपालकों और बड़े डेयरी प्लांट से भी गोबर खरीदा जाएगा।

पशुपालकों की आय में होगी बढ़ोतरी

दूध उत्पादन का व्यवसाय करने वाले अब गोबर से भी पैसा कमाएंगे। पशुपालकों की आय में बढ़ोतरी होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि श्वेत क्रांति 2.0 की ओर बढ़ रही है। अब डेयरी क्षेत्र से किसानों और पशुपालकों को आय होगी। अन्य लोगों को भी रोजगार मिलेगा। पशुपालकों से गोबर खरीदा जाएगा और इसका इस्तेमाल खाद के साथ-साथ बायोगैस प्लांट में भी किया जाएगा। इससे ऊर्जा का उत्पादन होगा और पर्यावरण में सुधार होगा। जी हां, गोबर से बायोगैस बनाई जाएगी, जिसके लिए एनडीडीबी और नाबार्ड के बीच समझौता हुआ है।

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आपको बता दें कि देश के साथ-साथ विदेशों में भी गोबर की मांग है। अब हमारे देश में भी गोबर का सही तरीके से इस्तेमाल हो सकेगा। जैविक खेती और बायोगैस की मांग बढ़ने के साथ ही गोबर की अच्छी कीमत मिलेगी।

हजारों करोड़ रुपए खर्च होंगे

बायोगैस प्लांट बनाने में हजारों करोड़ रुपए खर्च होंगे। यहां नई फाइनेंसिंग स्कीम बनाई जाएगी, जिसके जरिए छोटे बायोगैस, बड़े पैमाने पर बायोगैस प्लांट के साथ-साथ संपीड़ित बायोगैस प्रोजेक्ट चलाए जाएंगे। इसके लिए लोन सहायता भी दी जाएगी, ताकि जल्द से जल्द काम शुरू हो सके। बताया जा रहा है कि आने वाले 10 सालों में खाद प्रबंधन मॉडलों को बढ़ाने के लिए काम किया जाएगा। सरकार पशुपालकों से गोबर खरीदेगी।

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