केमिकल खाद से खराब हुई मिट्टी में आएगी जान, इस सस्ते हरे सोने से खेतों में ज्यादा होगा अनाज, बस बुवाई से पहले बिछा दें। जानिये इस खाद का नाम और इस्तेमाल का तरीका। जिससे केमिकल वाली खाद से मिल जाए छुटकारा।
पैदावार घटने का कारण ?
किसान खेती करते हैं तो उन्हें लगता है कि उनकी फसलों से ज्यादा से ज्यादा अनाज मिले। ताकि उनकी आमदनी बढ़ जाए। इसके लिए वह केमिकल वाली खाद का इस्तेमाल करते हैं, और ज्यादा उपज लेते हैं। लेकिन धीरे-धीरे पैदावार घटती जा रही है। पहले से पैदावार बहुत कम हो गई है। क्योंकि केमिकल वाली खाद का इस्तेमाल करने से मिट्टी का उपजाऊ खत्म होता जा रहा है।
आपको बता दे की मिट्टी का जो जैविक कार्बन होता है वह धीरे-धीरे घटता ही जा रहा है। जिससे मिट्टी कुछ समय बाद बेजान हो जाएगी और उनकी उसकी उर्वरक क्षमता, पैदावार भी घटती जाएगी। लेकिन यहां पर आपके पास हरी खाद का सहारा है। हरी खाद का इस्तेमाल करके आप मिट्टी को उपजाऊ बना सकते हैं।
हरी खाद बढ़ाएगी उपज
कई ऐसे किसान है जो कि अब धीरे-धीरे केमिकल वाली खाद से मुंह मोड़ रहे हैं। क्योंकि उन्हें पता चल गया है कि इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम हो रही है। जिससे पैदावार घट रही है और धीरे-धीरे खेती किसानी और मुश्किल हो जायेगी। लेकिन हरी खाद का इस्तेमाल करके किसान अपने मिट्टी को उपजाऊ बना सकते हैं। क्योंकि इस हरी खाद में फास्फोरस होता है, जो की जैविक फास्फोरस में बदल जाता है और यह फसलों के लिए बहुत ही ज्यादा बढ़िया रहता है।
जिसमें आज हम जिस हरी खाद की बात करने जा रहे हैं उसमें फास्फोरस, सल्फर, मैग्नीशियम, पोटाश, कैल्शियम, मैंगनीज, जस्ता और लोहा जैसे पोषक तत्व रहते हैं। हरी खाद मिट्टी के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। वह मिट्टी में जान वापस ला देगी। मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ा देगी। जिससे उपज भी बढ़ेगी।आपको बता दे की हरी खाद से मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी पूरी हो जाएगी, तो चलिए जानते हैं यह हरी खाद आखिर है क्या और इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है।
हरी खाद का नाम और इस्तेमाल का तरीका
किसान अगर हरी खाद का इस्तेमाल करके उपज बढ़ाना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे सस्ता जरिया ढेंचा है। ढेंचा की बुवाई करके किसान खेत को उपजाऊ बना सकते हैं। ढेंचा को खेतों में एक फसल की कटाई के बाद ही लगा दे और फिर जब इसे आप मिट्टी में दबा दे, उसके बाद दूसरी फसल की बुवाई कर सकते हैं।
आपको बता दे कि कई किसानों ने अप्रैल में के समय ही गेहूं की कटाई करने के बाद इस ढेंचा को खेतों में लगा दिया था और फिर इसे मिट्टी में दबाने के 20 से लेकर 25 दिन बाद फसल की बुवाई करते हैं। लेकिन धान की फसल में ऐसा है कि आप इस घास को खेत में दबाने के दूसरे दिन बाद ही धान की रोपाई कर सकते है। इस तरह इसे मिट्टी में मिलाने से मिट्टी उपजाऊ होती है। जिससे ज्यादा होगा अनाज। फिर बढ़ेगी आमदनी। सेहत पर भी नहीं पड़ेगा बुरा असर।