स्वाद में खट्टा सा यह फल किसानो के लिए बना हुआ है वरदान, एक बार खेती और सालों-साल होती है कमाई। आंवला की खेती एक लाभदायक और टिकाऊ कृषि व्यवसाय है। यह एक औषधीय पौधा है, जिसका उपयोग आयुर्वेद, खाद्य प्रसंस्करण और कॉस्मेटिक उत्पादों में किया जाता है। आंवला की खेती के बारे में हम आपको विस्तार से बताते है।
आंवला की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी
आंवला की खेती गर्म और शुष्क जलवायु में अच्छी होती है। हल्की दोमट या बलुई दोमट मिट्टी जिसमें अच्छा जल निकास हो, सबसे उपयुक्त होती है। pH मान लगभग 6.5-8.5 के बीच होना चाहिए।
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आंवला की उन्नत किस्में
आंवला की कुछ उन्नत किस्में – बनारसी, चकैया, NA-7, कृष्णा, कंचन, फ्रांसिस मुख्य है।
आंवला की खेती कैसे करें
मानसून के बाद जुलाई-सितंबर या सर्दियों में फरवरी-मार्च पौधारोपण करना सबसे अच्छा माना जाता है। पौधों के बीच 5×5 मीटर की दूरी रखें। गड्ढों का आकार 60×60×60 सेमी रखें और उसमें गोबर की खाद मिलाएं। कलमी पौधों का उपयोग करें, जिससे जल्दी और अधिक पैदावार मिलती है। गर्मियों में 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें, सर्दियों में कम पानी दें। रोपाई के 3-4 साल बाद फल लगने लगते हैं। अक्टूबर-दिसंबर में फसल तैयार होती है। एक पेड़ से 50-70 किलोग्राम तक फल मिल सकते हैं।
आंवला से कमाई
आंवला का उपयोग मुरब्बा, जूस, पाउडर, तेल और औषधियों में किया जाता है। प्रोसेसिंग करने से अधिक लाभ होता है। 1 हेक्टेयर में 20-25 टन उपज होती है और सही प्रबंधन से 1-2 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर तक मुनाफा हो सकता है।
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