जिमिकंद की खेती से होगी घर में होने लगेगी जबरदस्त धनवर्षा। जिमिकंद जिसे सुरन या ओल भी कहा जाता है, एक कंद वाली फसल है जो मुख्य रूप से सब्जी और औषधीय उपयोग के लिए उगाई जाती है। इसकी खेती मुख्य रूप से भारत के गर्म और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है। आइए इसकी खेती के बारे में विस्तार से बताते है।
जिमिकंद की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी
जिमिकंद के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु सबसे उपयुक्त है। जिमिकंद की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी या बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है।जिसका pH मान लगभग 5.5-7.0 के बीच होना चाहिए।
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जिमिकंद की खेती कैसे करें
जिमिकंद की खेती का सही समय मार्च से मई में होता है। मानसून आने से पहले बुवाई करना सबसे उपयुक्त होता है। खेत को 2-3 बार अच्छी तरह जुताई करें। जैविक खाद या गोबर खाद डालें। जिमिकंद के लिए 60×60 सेमी की दूरी पर क्यारी तैयार करें। बीज के रूप में कंद या छोटे टुकड़ों का उपयोग किया जाता है। बीज को 0.2% कार्बेन्डाजिम के घोल में 30 मिनट तक भिगोकर लगाएं।
पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करें। गर्मियों में 10-15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। बारिश के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। जिमिकंद की फसल 7-8 महीने में तैयार हो जाती है। अक्टूबर से दिसंबर के बीच खुदाई की जाती है। जिमिकंद से प्रति हेक्टेयर 25-30 टन तक उपज मिलती है।
जिमिकंद से कमाई
जिमिकंद की खेती में प्रति हेक्टेयर लागत लगभग 80,000-1,00,000 रुपये आती है वही कमाई लगभग 2,00,000-3,00,000 रुपये जोकि फसल की गुणवत्ता और बाजार दर के आधार पर होती है।
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