500 रूपए प्रति किलो बिकने वाले इस औषधीय पौधे की खेती खोलेगी कुबेर का खजाना। वृद्धदारु एक औषधीय पौधा है, जिसे आयुर्वेदिक दवाओं में उपयोग किया जाता है। इसे हाथी बेल या वृद्धदारु बेल के नाम से भी जाना जाता है। इसकी पत्तियां, जड़ और बीज औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। आइए इसकी खेती के बारे में विस्तार से जानते है।
वृद्धदारु की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी
वृद्धदारु गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छा विकास करता है। इसके लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। इसका पीएच मान लगभग 6.5-7.5 के बीच होना चाहिए।
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वृद्धदारु की खेती कैसे करे
वृद्धदारु की खेती करने के लिए खेत को गहरी जुताई करके समतल बना लें। अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद या जैविक खाद मिलाएं। जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। बीज बोने का सही समय फरवरी से मार्च और जुलाई से अगस्त होता है। बीजों को बोने से पहले 24 घंटे पानी में भिगोकर रखना चाहिए।
पौधे से पौधे की दूरी लगभग 1.5-2 मीटर रखे। गर्मियों में 7-10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। बरसात के मौसम में अतिरिक्त सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। जैविक खाद के साथ NPK उर्वरकों का उपयोग करें। 10-15 किलो गोबर की खाद प्रति पौधा हर साल दें। वृद्धदारु की जड़ें और पत्तियां 1.5-2 साल बाद उपयोग के लिए तैयार हो जाती हैं। वृद्धदारु के बीज 3-4 महीने में तैयार हो जाते हैं।
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वृद्धदारु के फायदे
वृद्धदारु का उपयोग सूजन, जोड़ों के दर्द, यौन कमजोरी और मानसिक तनाव के इलाज में किया जाता है। वृद्धदारु की आयुर्वेदिक कंपनियां काफी मांग करती हैं।
वृद्धदारु से कमाई
वृद्धदारु की बाजार में कीमत ₹300-₹500 प्रति किलो तक हो सकती है। आयुर्वेदिक दवा कंपनियों और औषधीय पौधों के थोक विक्रेताओं को बेचा जा सकता है। वृद्धदारु की खेती से तगड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है।
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