कैक्टस नाशपाती की खेती किसानों को बना देगी साल भर में मालामाल। कैक्टस नाशपाती एक कांटेदार पौधा है, जिसकी नाशपाती के आकार वाली फलियां होती हैं। इसे वैज्ञानिक रूप से Opuntia ficus-indica कहा जाता है। यह मुख्य रूप से सूखा प्रभावित क्षेत्रों में उगाया जाता है और इसका फल खाने योग्य होता है। आइए कैक्टस नाशपाती की खेती के बारे में विस्तार से जानते है।
कैक्टस नाशपाती की खेती के फायदे
कैक्टस नाशपाती एक कम पानी में बढ़ने वाली फसल है। यह फसल सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इससे मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने में मददगार होती है। इस फल के साथ-साथ पशु चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें कई औषधीय गुण होते है।
कैक्टस नाशपाती की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी
यह पौधा गर्म और शुष्क जलवायु में बेहतर पनपता है। इसके लिए बलुई, दोमट और कम उपजाऊ मिट्टी में भी अच्छी उपज देता है। इसकी मिट्टी का pH मान लगभग 5.5-8.0 के बीच होना चाहिए। पौधों की कटिंग जून-जुलाई या फिर फरवरी-मार्च में लगाई जाती है। स्वस्थ और 1-2 वर्ष पुराने तनों की कटिंग करें। कटिंग की लंबाई 25-30 सेमी होनी चाहिए।
इसे 2-3 दिन छाया में सुखाने के बाद मिट्टी में रोपें। पौधों के बीच 2-3 मीटर की दूरी रखें। वर्षा वाले क्षेत्रों में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। गर्मियों में 20-25 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई करें। जलभराव से बचाएं। फल 3-4 साल बाद आने लगते हैं। जुलाई से सितंबर के बीच फल तैयार होते हैं। कांटेदार त्वचा से बचने के लिए दस्ताने पहनकर फसल की कटाई करें।
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कैक्टस की खेती का इतेमाल
फल खाने योग्य होते हैं और रस, जैम, और जूस में उपयोग किए जाते हैं। इसकी पत्तियां सब्जी के रूप में खाई जाती हैं। औषधीय गुणों के कारण इसे मधुमेह, मोटापा और उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों के लिए उपयोग किया जाता है। इसका इस्तेमाल पशुओं के लिए चारे के रूप में भी प्रयोग होता है।
कैक्टस से कमाई
कैक्टस नाशपाती की खेती से प्रति हेक्टेयर 10-15 टन फल मिल जाते हैं। इसकी बाजार में फल की कीमत 100-200 रुपये प्रति किलो हो सकती है। जिसके हिसाब से आप इससे तगड़ी कमाई कर सकते है।
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