मडुवा की खेती से किसानों की भरेगी लबालब तिजौरी। मडुवा एक मोटा अनाज है, इसे मुख्य रूप से पहाड़ी क्षेत्रों, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, और मध्य प्रदेश में उगाया जाता है। इसमें प्रोटीन, कैल्शियम और आयरन की अधिक मात्रा होती है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। इसकी खेती कैसे की जाती है आइए इसके बारे में विस्तार बताते है।
मडुवा की खेती के लिए जलवायु और भूमि का चुनाव
मडुवा की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु सबसे उपयुक्त है। इसकी खेती के लिए हल्की बलुई, दोमट और कम उपजाऊ भूमि में भी इसे आसानी से उगाया जा सकता है। इसकी खेती के लिए पीएच मान लगभग 5.5 से 7.5 के बीच की मिट्टी अच्छी होती है। इसकी खेती के लिए खरीफ के मौसम में जून से जुलाई और रबी के मौसम में कुछ क्षेत्रों में अक्टूबर से नवंबर में इसकी खेती की जाती है। इसके बीज को 8-10 घंटे पानी में भिगोकर सुखा लें। जिसका आपको प्रति हेक्टेयर 8-10 किलो बीज की आवश्यकता होती है। आपको इसके बीज को बोने से पहले फफूंदनाशक दवा उपचारित करना होगा।
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इसकी बुआई आप छिड़काव विधि या फिर कतार विधि से कर सकते है। इसकी बीज की गहराई लगभग 2-3 सेमी होनी चाहिए। इसके बाद खेत में हल्की मिट्टी डालकर मिट्टी को समतल करना होता है। पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करें। दूसरी सिंचाई अंकुरण के 15-20 दिन बाद करें। वर्षा आधारित क्षेत्रों में सिंचाई की आवश्यकता कम होती है। लगभग 90-120 दिन में फसल तैयार हो जाती है। कटाई के बाद फसल को 7-10 दिन धूप में सुखाकर भंडारण कर ले। इसका उत्पादन प्रति हेक्टेयर लगभग 15-20 क्विंटल होता है।
मडुवा की खेती के फायदे
मडुवा की खेती से आप कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते है। यह एक सूखा प्रतिरोधी फसल है। यह पोषण से भरपूर अनाज है। मडुवा की मार्केट में बाजार में अच्छी डिमांड रहती है।
मडुवा से कमाई
मडुवा की खेती करके आप अच्छी कमाई कर सकते है। मडुवा की खेती करके आप प्रति एकड़ जमींन में लगभग 40 से 60 हजार रूपए की कमाई आराम से कर सकते है।
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