Agriculture tips: प्याज की रोपाई से पहले खेत की मिट्टी में डालें ये देसी खाद, कंद का साइज होगा मोटा तगड़ा बंपर उत्पादन से भर जाएंगे गोदाम

On: Wednesday, February 19, 2025 4:00 PM
Agriculture tips: प्याज की रोपाई से पहले खेत की मिट्टी में डालें ये देसी खाद, कंद का साइज होगा मोटा तगड़ा बंपर उत्पादन से भर जाएंगे गोदाम

प्याज की खेती में कंद के साइज को बड़ा करने के लिए इस खाद का इस्तेमाल बहुत लाभकारी साबित होता है तो चलिए जानते है कौन सी खाद है।

प्याज के कंद का साइज होगा मोटा

प्याज की खेती बहुत ज्यादा लाभकारी होती है मार्केट में अक्सर प्याज के बड़े कंद के साइज की डिमांड बहुत होती है। आज हम आपको एक ऐसी खाद के बारे में बता रहे है जिसका उपयोग प्याज की खेती में जरूर ही करना चाहिए। इस खाद से न केवल प्याज के कंद का साइज बड़ा होता है बल्कि पैदावार भी बहुत ज्यादा मात्रा में होती है। इस खाद को मिट्टी में डालने से मिट्टी के पोषक तत्व भी बढ़ते है। तो चलिए विस्तार से जानते है कौन कौन सी खाद है।

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प्याज की रोपाई से पहले मिट्टी में डालें ये खाद

प्याज की रोपाई से पहले खेत की मिट्टी में डालने के लिए हम आपको गोबर की खाद, NPK और पोटाश के बारे में बता रहे है गोबर की खाद मिट्टी को उपजाऊ और पोषक तत्व से भरपूर बनाती है। गोबर की खाद में कई तरह के जैविक गुण होते है जो प्याज के उत्पादन को बढ़ाते है प्याज की खेती में एनपीके यानि नाइट्रोजन, फ़ॉस्फ़ोरस, और पोटैशियम उर्वरक के इस्तेमाल से प्याज़ के बल्ब का वज़न बढ़ता है और पैदावार में सुधार होता है। साथ ही प्याज के पौधों की शुरुआती वृद्धि में मदद मिलती है और जड़ें मज़बूत होती है। प्याज की रोपाई से पहले खेत की मिट्टी में गोबर की खाद को जरूर डालना चाहिए।

कैसे करें उपयोग

प्याज की खेती में गोबर की खाद, NPK और पोटाश का उपयोग बहुत उपयोगी और लाभकारी साबित होता है इनका उपयोग करने से पहले खेत की अच्छी 3 से 4 बार गहरी जुताई करनी चाहिए और फिर मिट्टी में गोबर की खाद डालकर 10 दिन के लिए खेत को ऐसे ही छोड़ देना चाहिए फिर प्याज के पौधों की रोपाई करनी चाहिए। रोपाई के 10 से 12 बाद पानी में घोल बनाकर एनपीके का छिड़काव करना चाहिए ऐसा करने से प्याज के कंद का साइज बड़ा और मोटा होता है और उत्पादन भी बहुत जबरदस्त होता है।

नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।

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