फ्री में एक गाय और हर महीने ₹1500 दे रही सरकार, जानिये क्या है योजना जिससे गोपालक और गोवंश दोनों का होगा कल्याण

गाय पालन और बेसहारा गायों को सहारा देने के लिए सरकार बड़ी लाभकारी योजना चला रही है, इसमें गोपालको को ₹1500 मिलेगा। चलिए जानते हैं योजना के बारे में पूरी जानकारी-

गोपालन को प्रोत्साहन

गोपालन को प्रोत्साहन देने के लिए और बेसहारा गौ-वंश को सहारा देने के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं चला रही है। जिसमें आज हम जिस योजना की बात कर रहे हैं, वह एक शानदार योजना है। इस योजना के अंतर्गत गौपालकों को गाय के साथ उसके भरण पोषण के लिए पैसे भी दिए जाएंगे। यानी कि यहां पर एक पशुपालक को फायदा ही फायदा होगा। गाय पालन में कई तरह के फायदे हैं। गाय का दूध, दही या अन्य उत्पाद बिक्री करके अच्छी कमाई की जा सकती है। साथ ही साथ गाय के गोबर और गोमूत्र से खाद कीटनाशक आदि चीज बनाई जा सकती हैं तो चलिए आपको योजना के बारे में बताते हैं।

मुख्यमंत्री निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना

मुख्यमंत्री निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना, उत्तर प्रदेश राज्य सरकार की योजना है। इस योजना के अंतर्गत एक गाय के साथ-साथ ₹1500 हर महीने उसके पालन पोषण के लिए एक पशुपालक को दिया जाएगा तो अगर एक पशुपालक है और 4 गोवंशों का पालन करते हैं तो ₹6000 एक महीने में ही उनके भरण पोषण के लिए मिलेगा। उत्तर प्रदेश में करीब 205.86 लाख गोवंश है, तो इनका पालन कर लिया जाता है तो पशु पालको भी लाभ होगा। साथ ही इन्हें भी रहने का स्थान मिल जाएगा। वही छुट्टा जानवरों की जो समस्याएं आती है, वह भी नहीं आएंगी। चलिए जानते हैं इसका लाभ कैसे उठाना है।

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कैसे उठाएं योजना का लाभ

अगर आप एक पशुपालक है और गोवंश को पालने के लिए इच्छुक है, तो आपको बता दे कि इसका लाभ लेने के लिए पशु चिकित्सा अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। आवेदक के आसपास जो पशु चिकित्सालय है वहां जाकर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन जमा होने के बाद विकासखंड अधिकारी और पशु चिकित्सा अधिकारी दस्तावेजों की जांच करेंगे। फिर इन्हें जिला स्तर में भेजा जाएगा।

अगर पशुपालको यह लाभ मिलता है, वह पात्र पाए जाते हैं तो डीबीटी के माध्यम से उनके खाते में पैसे भेजे जाएंगे। आवेदन करने के लिए उनके पास अपना आधार कार्ड, फोटो, फोन नंबर और बैंक पासबुक की जानकारी होनी चाहिए। बता दे कि जिन पशुपालकों को यह लाभ दिया जाएगा उनकी मॉनिटरिंग भी की जाएगी।

यानी कि समय-समय पर निरीक्षण भी होगा कि आपके पास वह जानवर है या नहीं और उसकी देखरेख कैसे की जा रही है। यह मॉनिटरिंग जिला अधिकारी, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी करेंगे।

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