न खेत जोतना न मेढ़ बनाना, इस जादुई तरीके से होगी आलू की खेती, खरपतवार नहीं दिखेंगे, सिर्फ 3 सिंचाई में होगी बंपर पैदावार

आलू की खेती का यह तरीका आज से पहले शायद ही किसी ने देखा होगा, जिसमें बिना खेत जोते और मेढ़ बनाये भी आलू उगाई जा सके तो चलिए आपको यह वैज्ञानिक तरीका बताते है-

आलू की खेती

आलू की खेती में किसानों को मुनाफा है। सालभर इसकी डिमांड मंडी में बनी ही रहती है। कुछ समय के लिए किसान आलू स्टोर भी कर लेते हैं, इससे उन्हें अच्छी कीमत मिल जाती है। लेकिन इसके खेती में आने वाले खर्चों से किसानों को मुनाफा कम होता है। लेकिन वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तरीका खोज निकाला है जिससे किसान को खेत जोतने के लिए ट्रैक्टर की जरूरत नहीं पड़ेगी और ना ही मेढ़ बनाने के लिए मजदूरों की लागत है।

खाद-पानी का खर्चा भी कम हो जाएगा, खरपतवार नहीं उगेंगे, जिसकी वजह से मजदूरों को निराई-गुड़ाई के लिए नहीं रखना पड़ेगा। जैसा की सामान्य तरीके से अगर आलू की खेती की जाती है तो खेत जोता जाता है। ट्रैक्टर से उसके बाद मेड बनाए जाते हैं, और समय-समय पर सिंचाई की जाती है। फिर खरपतवार भी निकाला जाता है। लेकिन अब खेत के ऊपर ही आलू उगाई जा सकती हैं। चलिए आपको यह तरीका बताते हैं।

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आलू उगाने के नए तरीके की खोज

किसानों को खेती के नए-नए तरीके समय पर मिलते ही रहते है। कृषि वैज्ञानिक किसानों को अधिक उपज देने वाली फसल की जानकारी भी देते है। जिसमें आज हम आलू की खेती की बात कर रहे तो आपको बता दे कि हिमाचल में आलू की खेती का नया तरीका ढूंढा गया है। जिला सिरमौर के कृषि विज्ञान केंद्र धौलाकुआं के कृषि वैज्ञानिकों ने कुफरी नीलकंठ और कुफरी संगम किस्म पर शोध किया साथ ही एक हैक्टेयर जमीन में नई तकनीक से खेती की है। जिससे किसानों को कई लाभ हो रहे है।

जिसमें अगर किसान इस तकनीक से खेती करते है तो खेत जोतने की जरूरत नहीं पड़ेगी और ना ही मेढ़ बनना पड़ेगा बल्कि आलू के बीज को नमीयुक्त जमीन पर रखा जाता है और आलू की खेती हो जायेगी।

बिना खेत जोते ऐसे होगी आलू की खेती

इस नए तकनीक से आलू की खेती की जायेगी तो किसानों का खर्चा कम हो जाएगा। इस तकनीक से आलू उगाने के लिए मल्चिंग का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें आलू के ऊपर पौना फीट पराली रखा जाता है उसके बाद घनजीवामृत डाला जाता है। इस तरह 3 महीने में आलू उग जाएंगे। जो कि मिट्टी के ऊपर ही होंगे। इस तरीके से आलू उगाने में पानी कम लगेगा क्योकि जमीन में नमी बनी रहती है। जिसमें करीब 3 सिंचाई में आलू उग जायेगी। जिससे कम पानी में खेती होगी। पराली के कारण मिट्टी भी उपजाऊ हो जायेगी।

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