पारंपरिक खेती छोड़कर कई किसान फूलों की और फलों की खेती कर रहे हैं ऐसा इसलिए क्योंकि पारंपरिक खेती में सामान्यतः गेहूं चना और धान की खेती होती है। जिसमें किसानों को लागत जितनी लगती है उतना भी निकलना मुश्किल हो जाता है अब ऐसे में किसान नुकसान में जाते हैं। जिसके चलते लोग आजकल पारंपरिक खेती करना पसंद नहीं कर रहे हैं।
लोग अब अधिकतर फूलों की खेती और फलों की खेती पर ध्यान दे रहे हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही किसान के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी जिंदगी फूलों की खेती ने बदल कर रख दी है। आइए इन किसानों की सफलता की कहानी के बारे में जानते हैं।
किसानों की सफलता
हम जिन किसानों की बात कर रहे हैं वह बाराबंकी के रहने वाले किसान है जो की गेहूं धान की खेती छोड़कर फूलों की खेती कर रहे हैं। इतना ही नहीं कि यह सब किस मिलकर केला, टमाटर, आलू की खेती के साथ बाकी खेती करके भी अच्छा मुनाफा कमा रहे है।
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आपको बता दे की महिला उद्यान विभाग के अनुसार फतेहपुर तहसील के दफेदार पूर्व में किस मोइनुद्दीन, विनय वर्मा, बृजेश वर्मा, संजय, कबीरपुर निवासी सुधीर वर्मा और रायपुर के सीताराम आदि मिलाकर ग्लेडियोलस की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। किसान का कहना है कि वह बीते 20 सालों से ग्लेडियोलस फूल की खेती कर रहे हैं। इतना ही नहीं मार्केट में इस फूल की एक स्टिक 8 से ₹10 में बिकती है जिससे इनको अच्छा मुनाफा मिलता है।
मार्केट में डिमांड
रामनगर तहसील के बेरिया गांव निवासी प्रगतिशील किसान संदीप वर्मा पाली हाउस में जबेरा की खेती कर रहे हैं जो कि बीते एक दशक से करते हैं इनका कहना है कि यह मार्केट में अच्छे खासे दामों में बेचे जाते हैं। लखनऊ मंडी में अधिकतर फुल बेचे जाते हैं और यहां पर इसकी ज्यादा डिमांड होने की वजह से इनको अच्छा मुनाफा भी मिल जाता है।
फूलों की खेती से कमाई
किसान का कहना है कि गेंदे के फूल ₹70 और गुलाब के फूल ₹150 और चमेली के फूल ₹100 किलो बेचे जाते हैं वही ग्लेडियोलस फूल की एक स्टेट 8 से 10 रुपए में बेची जाती है। इस प्रकार इन फूलों की खेती से उनको अच्छा खासा मुनाफा मिल रहा है।
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